
लंबे समय से कर्ज से जूझ रहे रिलायंस ग्रुप के मुखिया अनिल अंबानी को लेकर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. ये मामला सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई से जुड़ा है. दरअसल, एसबीआई ने दिवालिया कानून के व्यक्तिगत गारंटी उपबंध के तहत अंबानी से 1,200 करोड़ रुपये की वसूली के लिए याचिका दायर की थी.
इसमें दावा किया गया था कि अनिल अंबानी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल को दिए गए कर्ज के लिए निजी गारंटी दी थी. इसके बाद अंबानी को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था.दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायिक सदस्य मोहम्मद अजमल और एक तकनीकी सदस्य रविकुमार की खंडपीठ ने आदेश सुरक्षित रखा है.
2019 में दिवालिया के लिए आवेदन
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की प्रमुख कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने 2019 की शुरुआत में दिवालिया के लिए आवेदन किया था. भारतीय स्टेट बैंक ने कंपनी के कर्ज के समाधान की एक योजना प्रस्तुत की थी जिसमें ऋणदाताओं को अपने बकाए की 23,000 करोड़ की राशि की वसूली होने का अनुमान था. यह राशि उनके कुल बकाए की करीब आधी है.
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चीन के बैंकों ने भी लगाए थे आरोप
आपको बता दें कि मई महीने में ब्रिटेन की एक अदालत ने अनिल अंबानी से 21 दिन के भीतर 71.7 करोड़ डॉलर यानी 5,446 करोड़ का भुगतान करने को कहा था. यह मामला चीन के तीन बैंक- इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी) की मुंबई शाखा, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना से जुड़ा है.