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रूठे मॉनसून से सूखे मोदी सरकार के अरमान, 2019 में कैसे सधेगा किसान

केन्द्र सरकार को उम्मीद थी कि अच्छे मॉनसून के बाद 2019 के शुरुआत में होने वाले आम चुनावों से पहले उसे बेहतरीन आर्थिक आंकड़े मिलेंगे जिसके जरिए वह मजबूती के साथ अपने प्रचार अभियान को चलाते हुए सत्ता में बने रहने के अपने प्रयासों को सफल कर लेगी.

उत्तर और पूर्वी भारत कहीं मॉनसून के लिए तरसता न रह जाए? उत्तर और पूर्वी भारत कहीं मॉनसून के लिए तरसता न रह जाए?
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 4:56 PM IST

मौसम विभाग ने कुछ महीनों पहले जब दावा किया कि इस साल देश में अच्छा मानसून आने वाला है तो इससे सबसे बड़ी राहत अर्थजगत को मिली क्योंकि अच्छा मानसून उसके लिए अच्छे दिन लेकर आने वाला था. केंद्र की सत्ता में बैठी नरेंद्र मोदी सरकार भी खुश थी क्योंकि इससे उसे उम्मीद बंधी कि अच्छे मॉनसून के बाद 2019 के शुरुआत में होने वाले आम चुनावों से पहले उसे बेहतरीन आर्थिक आंकड़े मिलेंगे जिसके जरिए वह मजबूती के साथ अपने प्रचार अभियान को चलाते हुए सत्ता में बने रहने के अपने प्रयासों को सफल कर लेगी.

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अच्छे मॉनसून की उम्मीद से केन्द्र सरकार को किसानों की आमदनी दोगुना करने का अपना संकल्प और उसके जरिए किसानों के अच्छे दिन लाने का फॉर्मूला दिख गया. इसके चलते केन्द्र सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी में 50 फीसदी का इजाफा करने का फैसला लिया. हालांकि केन्द्र सरकार ने जिस फॉर्मूले का ऐलान किया वह प्रभावी तौर पर एमएसपी में महज एक-तिहाई का इजाफा दिखा रही है.

गौरतलब है कि स्वामीनाथन कमेटी ने किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए एमएसपी में 50 फीसदी के इजाफे की सिफारिश की थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने यह इजाफा फसल में लागत और किसान परिवार की मेहनत को जोड़कर किया जिसके चलते किसानों को अपनी पैदावार पर 50 फीसदी की जगह महज 12 फीसदी से संतोष करना पड़ेगा. जाहिर है यह फायदा भी तब मिलेगा जब किसान सरकार के खरीद केन्द्र पर अपनी फसल बेच सकेगा.

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बाहरहाल, इस फॉर्मूले के बाद भी किसानों को धान की एमएसपी पर 200 रुपये के इजाफे (1,550 से 1,750 रुपये प्रति क्विंटल) से कुछ उम्मीद बंधी क्योंकि अच्छे मॉनसून के चलते उन्हें यह इजाफा कुछ अतिरिक्त आमदनी देने जा रहा था. यह बात अलग है कि यह इजाफा अप्रैल 2018 तक धान की बाजार में 1,850 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत से बेहद कम है. वहीं यदि मॉनसून कामजोर पड़ता है तो जाहिर है धान के बाजार भाव में इजाफा और होगा वहीं किसानों को एमएसपी में इस 200 रुपये की बढ़ोत्तरी का फायदा दूर की कौड़ी हो जाएगा.      

अब मौसम में करवट का संकेत देना शुरू कर दिया है. मौसम विभाग के आकलन में करवट दिखाई दे रही है. मौसम विभाग ने हाल ही में माना कि उत्तर भारत और पूर्वी भारत में जून महीने के दौरान बारिश अनुमान से 5 फीसदी तक कम रही है. मौसम विभाग अब कह रहा है कि जून की तरह जुलाई में अभी तक देश के इन क्षेत्रों में मॉनसून सामान्य से 9 फीसदी तक का अंतर दर्शा रहा है.

मौसम विभाग को आशंका है कि जून की तरह जुलाई के दौरान भी देश के इन इलाकों में मॉनसून के आंकड़े मायूस करने वाले हो सकते हैं. इसके चलते 6 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुआई में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है. केन्द्र सरकार के अपने आंकड़ों के मुताबिक इस समय तक खरीफ बुआई में कुल 14.2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. वहीं खरीफ की सबसे प्रमुख फसल और किसानों की आमदनी के लिए रीढ़ मानी जाने वाले धान की बुआई में अभीतक 15 फीसदी की कमी दर्ज हुई है. वहीं अन्य कैश क्रॉप जैसे तिलहन और दलहन की बुआई में भी 13.4 फीसदी और 19.4 फीसदी की कमी दर्ज हुई है.

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