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ओला-उबर के ग्रोथ की रफ्तार हुई स्लो, यात्रियों की बढ़ी परेशानी

कुछ साल पहले तक चंद मिनटों में कैब सर्विसेज मुहैया करा उबर और ओला ने एक अलग पहचान बनाई थी. यही वजह है कि इन कंपनियों की ग्रोथ रेट में भी इजाफा हो रहा था. लेकिन बीते 6 महीनों में ओला और उबर की ग्रोथ रेट सुस्त पड़ गई है.

वेटिंग टाइम बढ़ा वेटिंग टाइम बढ़ा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2019,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

कुछ साल पहले तक चंद मिनटों में कैब सर्विसेज मुहैया करा उबर और ओला ने एक अलग पहचान बनाई थी. यही वजह है कि इन कंपनियों की ग्रोथ रेट में भी इजाफा हो रहा था. लेकिन बीते 6 महीनों में ओला और उबर की ग्रोथ रेट सुस्त पड़ गई है. यही नहीं, इन दोनों कंपनियों के कस्टमर्स को पहले के मुकाबले ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.    

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इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह महीनों में ओला और उबर के डेली राइड्स में सिर्फ 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पहले डेली राइड्स 35 लाख था जो अब करीब 36.5 लाख पर है. इसके अलावा यात्रियों की परेशानी में भी इजाफा हुआ है.

रिपोर्ट के मुताबिक कस्टमर्स को दो साल पहले तक कैब के लिए सिर्फ 2 से 4 मिनट का इंतजार करना पड़ता था उन्हें अब औसत 12-15 मिनट का इंतजार करना पड़ रहा है. इसके साथ ही बड़े शहरों में नॉन-पीक आवर्स में किराए भी 15-20 फीसदी बढ़ गए हैं.

क्यों कम हुई कैब की संख्या?

रिपोर्ट के मुताबिक ड्राइवर्स के इंसेंटिव्स में कमी होने की वजह से कैब की संख्या घट गई है. दरअसल, पिछले एक वर्ष में ड्राइवर इंसेंटिव लगभग 40 फीसदी कम हुए हैं. यही वजह है कि ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ गई है. इस कमी की वजह से यात्रियों को समय पर कैब उपलब्ध कराने में भी दिक्कतें हो रही हैं.

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ओला और उबर के बिजनेस की गति धीमी पड़ने का एक अन्य संकेत कमर्श‍ियल व्हीकल रजिस्ट्रेशन से मिल रहा है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में 2017-18 में ओला और उबर इंडिया के लिए कार्य करने वाली 66 हजार 683 टूरिस्ट कैब रजिस्टर्ड हुई थी, लेकिन यह संख्या 2018-19 में घटकर 24 हजार 386 पर आ गई.

बता दें कि अमेरिकी कंपनी उबर के लिए भारत तेज ग्रोथ वाले चुनिंदा बाजार में शामिल है लेकिन दुनियाभर में नुकसान बढ़ने के कारण कंपनी मुश्किल स्थिति में है. हालांकि उबर ने हाल ही में अपना आईपीओ पेश किया था. वहीं ओला की बात करें तो इलेक्ट्रिक बिजनेस के लिए टाइगर ग्लोबल, मैट्रिक्स पार्टनर्स और रतन टाटा से 400 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं.

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