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नोबेल विजेता अर्थशास्त्री क्रुगमैन बोले- नौकरियों की कमी से बिगड़ सकता है भारत का खेल

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा कि नौकरियों की कमी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सुस्ती से भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी पर विराम लग सकता है.

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 19 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने पिछले 30 साल में भारत की तेज गति से हो रही आर्थिक तरक्की की तारीफ की है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि नौकरियों की कमी से यह खेल बिगड़ सकता है. पॉल ने कहा कि नौकरियों की कमी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सुस्ती से भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी पर विराम लग सकता है.

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गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.2 फीसदी रही, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था में महज 6.8 फीसदी की बढ़त हुई. इसके पहले पॉल क्रुगमैन मोदी सरकार की नोटबंदी की नीति की भी आलोचना कर चुके हैं.

क्रुगमैन ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, 'भारत ने पिछले 30 साल में उसी तरह से आर्थिक तरक्की की है जैसा ग्रेट ब्रिटेन ने पिछले 150 साल में किया है. यहां काफी तेजी से बदलाव हो रहा है. इसके बावजूद यहां गरीबी क्यों दिख रही है?'

असमानता भी है चिंता की बात

उन्होंने कहा, 'मैन्युफैक्चरिंग में कमी एक बड़ी बाधा बन सकती है, क्योंकि इसकी वजह से भारत में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है. भारत के लिए चिंता की एक और बात है, तेज आर्थिक विकास के बीच काफी ज्यादा आर्थ‍िक असमानता का होना, इसकी वजह से संपदा का असमान वितरण हो रहा है.

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हालांकि, उन्होंने भारत की आर्थिक तरक्की को 'असाधारण' बताया और कहा कि अब यह जापान को पीछे छोड़कर अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है, तथा किसी भी यूरोपीय देश से काफी आगे है.

कांग्रेस की उदारीकरण नीतियों को दिया श्रेय

उन्होंने भारत की तरक्की की वजह यहां 1990 के दशक की शुरुआत में होने वाले उदारीकरण और नीतियों में कई अन्य तेज बदलाव को बताया. उन्होंने कहा कि भारत में कारोबार करना अब काफी आसान है. पीएम कहते हैं कि भारत इस रैकिंग में 148 से 100 तक पहुंच गया है. लेकिन यह काफी नहीं है, इससे बेहतर किया जा सकता है.'  

उन्होंने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार का मसला है और चीन जैसे ज्यादा भ्रष्टाचार के साथ आप डेनमार्क जैसा साफ-सुथरा देश बनने की उम्मीद नहीं कर सकते. गौरतलब है कि क्रुगमैन को साल 2008 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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