
बीते कुछ सालों में निजी डेटा की सेंधमारी ने भारत समेत दुनियाभर की सरकारों की टेंशन बढ़ा दी है. हालांकि अब भारत में डेटा चोरी को लेकर सरकार एक नया कानून लागू करने की तैयारी में है. इस विधेयक को पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. अब यह विधेयक मौजूदा शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखा जा सकता है.
क्या है यह कानून?
निजी डेटा प्रोटेक्शन बिल के नाम के इस कानून में निजी डेटा की चोरी करने वाली कंपनियों पर सख्ती बढ़ाई गई है. नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 15 करोड़ रुपये या वैश्विक कारोबार के 4 फीसदी तक के जुर्माने के साथ ही जेल का प्रावधान है. अगर उल्लंघन का मामला छोटा है तो 5 करोड़ रुपये या वैश्विक कारोबार का 2 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई सूत्रों की मानें तो डेटा कारोबार के इंचार्ज का काम देख रहे कार्यकारी को नियमों के उल्लंघन मामले में 3 साल तक की जेल भी हो सकती है. इसके अलावा सोशल मीडिया कंपनियों को अपने मंच पर स्वैच्छिक रूप से पहचान बताने के यूजर्स के लिए तंत्र बनाना होगा. आसान भाषा में समझें तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स के लिए पहचान बताना अनिवार्य नहीं होगा.
डेटा को भारत में ही स्टोर करना होगा
इस विधेयक के तहत सभी इंटरनेट कंपनियों को अनिवार्य रूप से महत्वपूर्ण डेटा या आंकड़ों को भारत में ही स्टोर करना होगा. वहीं संवेदनशील डेटा का प्रोसेसिंग डेटा मालिक की सहमति से देश के बाहर किया जा सकता है. यहां बता दें कि महत्वपूर्ण डेटा को सरकार द्वारा समय- समय पर परिभाषित किया जाता है. वहीं स्वास्थ्य, धर्म, राजनीतिक, बायोमीट्रिक, जेनेटिक डेटा को संवेदनशील माना जाता है.
ऐसी उम्मीद है कि इस विधेयक से कंपनियां देश में ही डेटा प्रोसेसिंग करने को प्रोत्साहित होंगी और भारत दुनिया की सबसे बड़ा डेटा रिफाइनरी का केंद्र बन सकेगा. विधेयक में सिर्फ कानूनी उद्देश्य से डेटा के प्रोसेसिंग की अनुमति का प्रावधान है. सरकार की ओर से स्वायत्तता से जुड़े मामलों, राष्ट्रीय सुरक्षा या अदालती आदेश की स्थिति में डेटा का प्रोसेसिंग बिना सहमति के किया जा सकता है.
बता दें कि यूरोपीय संघ के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन(जीडीपीआर) के नक्शेकदम पर चलते हुए, साल 2018 में सरकार ने निजी डेटा प्रोटेक्शन बिल का एक ड्राफ्ट पेश किया था. इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह ने तैयार किया था. बाद में सरकार ने लोगों से भी इस ड्राफ्ट पर सुझाव मांगे थे.