
पेट्रोल और डीजल की कीमतें देश भर में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. लेकिन अभी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलना मुश्किल है. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 4 साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. मंगलवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 82 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है. कच्चे तेल में आई यह बढ़ोतरी अक्टूबर, 2014 के बाद से सबसे ज्यादा है.
वहीं, डब्लूटीआई क्रूड अथवा अमेरिकी कच्चे तेल की बात करें तो वह भी अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. यह भी ब्रेंट क्रूड की तरह ही 4 साल की नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है.
मंगलवार को अमेरिकी कच्चा तेल 72 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है. इसके साथ ही रुपये में गिरावट का सिलसिला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसकी वजह से आने वाले दिनों में पेट्रोल की कीमत 92 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर सकती है.
दरअसल जब भी कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो तेल कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं. कच्चे तेल के लिए इन कंपनियों को भुगतान ज्यादातर डॉलर में करना होता है.
इससे तेल कंपनियों की लागत बढ़ती है. उनकी लागत बढ़ने से पेट्रोल और डीजल के दाम भी बढ़ने की आशंका है. ईंधन की कीमतों में राहत की उम्मीद इसलिए भी नहीं दिखती क्योंकि सरकार फिलहाल एक्साइज ड्यूटी घटाने के मूड़ में नहीं है.