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दावोस: GST का बचाव- FDI का न्योता, PM मोदी के भाषण में छुपे थे ये 11 संदेश

पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस के मंच से अपना संबोधन दिया. इसमें उन्होंने न सिर्फ भारत की उपलब्ध‍ियां गिनाईं, बल्क‍ि उन्होंने दुनिया को भी अपने भाषण से संदेश दिया है. पीएम मोदी के भाषण में देश  और दुनिया के लिए कई छुपे संदेश थे.

दावोस में पीएम मोदी दावोस में पीएम मोदी
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST

पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस के मंच से अपना संबोधन दिया. इसमें उन्होंने न सिर्फ भारत की उपलब्ध‍ियां गिनाईं, बल्क‍ि उन्होंने दुनिया को भी अपने भाषण से संदेश दिया है. पीएम मोदी के भाषण में देश  और दुनिया के लिए कई छुपे संदेश थे.

दो दशक में भारत हुआ है मजबूत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत भारतीय जीडीपी का जिक्र करते हुए किया. उन्होंने कहा कि दावोस में आखि‍री बार भारतीय पीएम की यात्रा 1997 में हुई थी. 1997 में भारत की जीडीपी 40 करोड़ डॉलर से कुछ ज्यादा थी. अब यह छह गुना से ज्यादा हो चुकी है.

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पीएम मोदी ने अपने भाषण में इस बात का उल्लेख कर यह बताने की कोशिश की है कि भारत अब विश्वशक्ति बनने के लिए तैयार है. भारत की इकोनॉमी लगातार बढ़ती जा रही है और पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है. 

एफडीआई का दिया न्यौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत दुनिया के सभी देशों का स्वागत अपने घर में करता है. उन्होंने इसके जरिये भारत में दूसरे देशों को निवेश का न्यौता दिया.

एफडीआई के विरोध‍ियों को दिया जवाब

उन्होंने महात्मा गांधी का एक उद्धरण अपने भाषण में दिया. उन्होंने कहा, '' गांधी जी ने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरे घर की दीवारें और ख‍िड़कियां बंद हों. मैं चाहता हूं कि सारी दुनिया की हवा और संस्कृति मेरे घर में पहुंचे. लेक‍िन मैं ये कभी नहीं चाहूंगा कि ये हवाएं मेरे पैर उखाड़ दें. पीएम मोदी ने इससे देश में उन लोगों को जवाब दिया है, जो एफडीआई का विरोध कर रहे हैं.

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इस बात से उन्होंने संदेश दिया कि वह एफडीआई के पक्ष में हैं. हालांकि इसका मतलब ये कतई नहीं है कि इससे देश की कमान विदेशी कंपनियों के हाथ में चली जाएगी. इसके साथ ही पीएम मोदी ने इसके जर‍िये भारत में विदेशी निवेश के लिए खोले जा रहे दरवाजों का जिक्र किया है. प्रधानमंत्री ने इस बात में ये बताने की कोश‍िश की है कि भारत विदेशी कंपनियों के लिए दरवाजे खोलेगा. हालांकि इस दौरान वह अपनी प्रमुखता बनाए रखेगा.

नोटबंदी और जीएसटी  जैसे बड़े फैसलों का किया बचाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि हम छोटे-मोटे सुधार नहीं करते, बल्क‍ि हम आमूलचूल सुधार करने को तवज्जो देते हैं. भारत की अर्थव्यवस्था को जिस प्रकार से निवेश के लिए सुगम बना रहे हैं, उसका कोई शानी नहीं है. आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना और मैन्युफैक्चरिंग करना और भारत से अपने उत्पाद दुनियाभर में एक्सपोर्ट करना पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है.

भारत में कारोबार करना हुआ आसान

पीएम मोदी ने इस बात से न सिर्फ नोटबंदी और जीएसटी जैसे कड़े फैसलों को सही ठहराया है, बल्कि उन्होंने दुनिया को ये भी संदेश दिया है कि भारत में कारोबार करना काफी आसान हो गया है. हमने रेड टेप हटाकर रेड कार्पेट बिछाया है. इस दौरान पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरफ से मिल रही रेटिंग और रैंक‍िंग की याद भी दुनिया को दिलाना नहीं भूले. उन्होंने दुनिया को भारत में निवेश का न्यौता इससे दिया है.

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थपथपाई अपनी पीठ

पीएम मोदी ने अपने भाषण में अपनी सरकार की पीठ भी थपथपाई है. उन्होंने इस दौरान पिछले साढ़े तीन साल के दौरान उनकी सरकार की तरफ से उठाए गए कदम और लिए गए फैसलों का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े तीन साल के दौरान हमने 1400 से ज्यादा गैर जरूरी कानून खत्म किए.  एकीकृत व्यवस्था जीएसटी लागू की. पीएम मोदी ने जनधन खाता समेत अपने अन्य कई फैसलों का जिक्र भी इस दौरान किया.

डिजिटल इकोनॉमी के इस्तेमाल में संतुलन जरूरी 

पीएम मोदी ने 1997 का उदाहरण देते हुए इंटरनेट को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि उस जमाने में ट्वीट करना च‍िड़ियों का काम था, मनुष्य का नहीं. डाटा से आज मौके मिल रहे हैं, तो इससे चुनौतियां भी खड़ी हो रही हैं. पीएम मोदी ने यहां साइबर सुरक्षा और डाटा का बेहतर और संतुलित इस्तेमाल करने का संदेश दुनिया को दिया.

साथ मिलकर काम करें

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि दरारों और दूरियों को मिटाकर सांझे भविष्य के सपने को साकार कर सकते हैं. इस वाक्य के जरिये पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को साथ मिलकर काम करने का संदेश दिया है. उन्होंने अपने इस संदेश को आगे बढ़ाते हुए वसुदेव कुटुंबकम का संदेश भी दुनिया को दिया.  पीएम मोदी ने कहा कि इस काल की विकट चुनौतियों से निपटने के लिए सहमति का अभाव है. साझा चुनौतियों से पूरे परिवार को लड़ना पड़ता है.

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जलवायु परिवर्तन पर कदम उठाने की जरूरत

पीएम मोदी ने अपने भाषण में तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र किया. इसमें पहली चुनौती उन्होंने जलवायु परिवर्तन को बताया. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में दिन-ब-दिन ग्लेश‍ियर खिसक रहे हैं. अंटार्कट‍िक की बर्फ पिघल रही है. उन्होंने इससे निपटने के लिए एकजुट होने का संदेश दिया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए करारों के लिए साथ न आने वाले यूएस समेत अन्य देशों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कई देश आगे नहीं आ रहे हैं.

गुड टेरर‍िस्ट और बैड टेररिस्ट में भेदभाव मिटाना

उन्होंने दूसरी बड़ी  चुनौ‍ती आतंकवाद को बताया . उन्होंने गुड टेरर‍िस्ट और बैड टेरर‍िस्ट का भेद खत्म करने की बात कही. यहां उनका इशारा पाकिस्तान समेत उन देशों की तरफ था, जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने यहां आतकंवाद को आतंकवाद के तौर पर ही देखने का संदेश दिया.

वैश्व‍िकीकरण का मंत्र अपनाने की जरूरत

उन्होंने कहा कि कुछ देश आत्मकेंद्रीत होते जा रहे हैं. वैश्व‍िकीकरण सिकुड़ता जा रहा है. विश्व को जोड़ने की हर कोई बात कर रहा है, लेकिन वैश्व‍िकीकरण की चमक धीरे-धीरे कम होती जा रही है. उन्होंने इस दौरान कहा कि कुछ लोग वैश्व‍िकीकरण का रुख पलटना चाहते हैं कुछ लोग.

पीएम मोदी ने इसके जरिये दुनिया को आपसी कारोबार बढ़ाने पर फोकस करने को कहा. उन्होंने दुनिया के राजनेताओं को संदेश दिया कि उन्हें सिर्फ खुद के देश को बढ़ाने पर ध्यान देने की बजाय वैश्व‍िकीकरण को बढ़ावा देने पर फोकस करना चाहिए.  उन्होंने कहा कि अलगाव समाधान नहीं है. चुस्त और लचीली नीतियों को अपनाने में ही समझदारी है.

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