
नए साल पर राष्ट्र के नाम संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणाओं की बौछार कर दी. ये घोषणाएं पांच राज्यों में चुनाव और वार्षिक बजट से ठीक पहले की गई. इन घोषणाओं से मोदी सरकार ने अपनी सामाजिक-आर्थिक विकास की नीति साफ करते हुए देश के गरीब तबके के लिए सस्ता घर, छोटे कारोबारियों के लिए सस्ता कर्ज, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को धन-लाभ की घोषणा की.
सब्सिडी तो यूपीए फॉर्मूला
किसानों के कर्ज से लेकर, छोटे कारोबारियों को सहारा देने तक जब सरकार डायरेक्ट बेनेफिट पहुंचाने के लिए अपने खजाने से सहारा देने लगे तो इसे यूपीए का मॉडल ही कहा जाएगा. मनमोहन सिंह और उनसे पहले की कांग्रेस सरकारों में सामाजिक और आर्थिक विकास की नीति को सब्सिडी के सहारे चलाया गया. इसका नतीजा देश के खजाने पर यू पड़ा कि 1991 में लिब्रलाइजेशन के बाद सरकार सब्सिडी के बोझ को कम करने की कोशिश में लगी रहीं. सब्सिडी के बोझ के बावजूद कांग्रेस सरकारों ने लोकलुभावन नीतियों की घोषणा से कभी परहेज नहीं किया.
अब मोदी सरकार का सब्सिडी कार्ड
पीएम मोदी की घोषणाओं से ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में होम लोन की संख्या में बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा. पीएम मोदी ने देश के बैंकों को इस तबके के लिए बैंक लोन पर ब्याज कम करने के लिए कहा है. इसके लिए उन्होंने बैंकों से अपील की है कि नोटबंदी के बाद उनके खजाने में हुई बढ़ोत्तरी का इस्तेमाल समाज-कल्याण पर किया जाना चाहिए.
सरकार पर बढ़ा बोझ
इन सभी घोषणाओं से देश का वह बड़ा तबका जरूर खुश होगा जिसे इसका लाभ मिलेगा. हालांकि इन घोषणाओं का बड़ा असर सरकार के खजाने पर पड़ेगा. इन सभी प्रवाधानों के जरिए केन्द्र सरकार देश के गरीब तबके को सहारा देने के लिए एक बार फिर बड़े स्तर पर सब्सिडी का रास्ता चुन रही है.