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SWIFT से हुआ PNB महाघोटाला, जानें कैसे होता है ये ट्रांजेक्शन

पंजाब नेशनल बैंक महाघोटाले की परतें मिनट-दर-मिनट खुलती जा रही हैं. करीब साढ़े 11 हजार करोड़ के इस घोटाले में बैंकों के कुछ नियमों का दुरुपयोग करने की बात सामने आ रही है.

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विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

पंजाब नेशनल बैंक महाघोटाले की परतें मिनट-दर-मिनट खुलती जा रही हैं. करीब साढ़े 11 हजार करोड़ के इस घोटाले में बैंकों के कुछ नियमों का दुरुपयोग करने की बात सामने आ रही है. लेटर ऑफ अंडरटेकिंग और स्व‍िफ्ट ट्रांसफर जैसी व्यवस्थाओं की अनदेखी इस घोटाले के लिए जिम्मेदार है. हम आपको बता रहे हैं कि लेटर ऑफ अंडरटेक‍िंग (LoU) और स्व‍िफ्ट क्या है और कैसे ये ट्रांजैक्शन होते हैं.

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LoU क्या है?

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) एक तरह से बैंक गारंटी होती है. यह आयात के लिए ओवरसीज भुगतान करने के लिए जारी किया जाता है. LoU जारी करने वाला बैंक गारंटर बन जाता है और वह अपने क्लाइंट के लोन पर प्रिंसिपल अमाउंट और उस पर लगने वाले ब्याज को बेशर्त भुगतान करना स्वीकार करता है.

जब LoU जारी किया जाता है तो इसमें इसे जारी करने वाला बैंक, स्वीकार करने वाला बैंक, आयातक और विदेश में इससे लाभान्व‍ित होने वाली कंपनी शामिल होती है. पीएनबी के मामले में फर्जी LoU हासिल किए गए और इन्हीं के आधार पर एक्सिस और इलाहाबाद जैसे बैंकों की विदेशी शाखाओं से लोन लिए गए थे.

SWIFT का भी किया दुरुपयोग

बताया जा रहा है कि रकम की लेन-देन के लिए पीएनबी के कर्मचारियों ने 'SWIFT' का भी दुरुपयोग किया. इसके जरिये वे रोजाना की बैंकिंग ट्रांजैक्शंस को प्रॉसेस करने वाले कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) को चकमा दे गए.  इसके जरिये उन्होंने LoUs पर दी जाने वाली गारंटी को जरूरी मंजूरी के बिना ही पास कर लिया. इसी के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेश में स्थ‍ित ब्रांचेस ने कर्ज दिया.

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SWIFT क्या है? 

जब भी किसी बैंक की तरफ से LoU जारी किया जाता है. इसके बाद क्रेडिट ट्रांसफर की जानकारी व‍िदेश में स्थ‍ित बैंक को दी जाती है. यह जानकारी SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) व्यवस्था के जरिये दी जाती है. यह एक अहम जानकारी होती है, जिसके जरिये बैंक अपनी सहमति और गारंटी देता है.

स्व‍िफ्ट की जानकारी देने के लिए  बैंक अध‍िकारी को लॉग इन करना पड़ता है और इसमें गोपनीय जानकारी दर्ज करनी पड़ती है. इसमें अकाउंट नंबर और SWIFT कोड शामिल होता है. सामान्य तौर पर इसमें तीन लेयर होते हैं. कोर बैंक‍िंग सिस्टम (CBS) में एक 'मेकर (कोड तैयार करने वाला), चेकर (जांच करने वाला) और वेरीफायर (जानकारी पुख्ता करने वाला) होता है, जिनसे गुजरने के बाद ही यह जारी होता है.

दरअसल, 'स्विफ्ट' से जुड़े मैसेज पीएनबी के पिनैकल सॉफ्टवेयर सिस्टम में तत्काल ट्रैक नहीं होते हैं क्योंकि ये बैंक के CBS में एंट्री किए बिना जारी किए जाते हैं. इसी का फायदा पीएनबी के दो कर्मचारियों ने उठाया और करोड़ों का लेन-देन किया.

CBS क्या ?

कोर बैंक‍िंग सिस्टम अथवा सीबीएस वह सिस्टम होता है, जिससे बैंक की सभी शाखाएं जुड़ी होती हैं. सीबीएस ही है, जिसकी वजह से आप बैंक की किसी भी ब्रांच से अपना अकाउंट ऑपरेट कर पाते हैं और पैसे भेज पाते हैं. इस व्यवस्था के आने के बाद आप एक ब्रांच के नहीं, बल्क‍ि सीधे बैंक के ग्राहक बन जाते हैं. यहां पर बैंक‍िंग सिस्टम में होने वाले हर ट्रांजैक्शन को रियल टाइम पर अपडेट किया जाता है.

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पीएनबी महाघोटाले के मामले में सीबीएस के पास कर्मचारियों ने ट्रांजैक्शन की डिटेल भेजी ही नहीं. यही वजह थी कि बैंक को इस घोटाले का पता उस समय नहीं लग पाया.

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