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PNB घोटाला: नीरव मोदी को मिला बिना जमानत वाला अनसिक्योर्ड लोन, बैंक अफसर निरंतर संपर्क में थे

प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार नीरव और उनकी सहयोगी कंपनियों को बैंक ने अनसिक्योर्ड लोन दिए और बैंक अधिकारी उनकी सहयोगी कंपनियों से भी निरंतर संपर्क में थे. 

नीरव मोदी नीरव मोदी
दिनेश अग्रहरि/मुनीष पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

पीएनबी महाघोटाले की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, इसमें तमाम नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने पंजाब नेशनल बैंक में हुए करीब 11 हजार करोड़ रुपये के फ्रॉड के मामले में बैंक और डायमंड कारोबारी नीरव मोदी सहित उनकी कई सहयोगी कंपनियों पर मामला दर्ज किया है. प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार नीरव और उनकी सहयोगी कंपनियों को बैंक ने अनसिक्योर्ड लोन दिए और बैंक अधिकारी उनकी सहयोगी कंपनियों से भी निरंतर संपर्क में थे. 

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क्या होता है अनसिक्योर्ड लोन

अनसिक्योर्ड लोन उसे कहते हैं जब बैंक बिना किसी तरह की प्रतिभूति या जमानत के लोन देते हैं. इसमें लोन कर्ज लेने वाले की हैसियत, कर्ज चुकाने की क्षमता के आधार पर ही दे दिया जाता है. ईडी के एक सूत्र ने बताया, 'नीरव मोदी के फर्म और उनकी सहयोगी कंपनियों को अनसिक्योर्ड लोन दिया गया. यही नहीं, बैंक अधिकारी निरंतर नीरव की सहयोगी कंपनियों के साथ संपर्क में थे. बैंक ने बिना किसी सेक्योरिटी के लोन दिया. इस जालसाजी का खुलासा तब जाकर हुआ जब नीरव कर्ज लौटाने में विफल रहे.'

कैसे होता था फर्जीवाड़ा

पीएनबी की मुंबई की एक शाखा का एक कर्मचारी हीरा कंपनियों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) प्रदान करता था ताकि वे दूसरे बैंकों से सेक्योर ओवरसीज कर्ज हासिल कर सकें. राजीव कुमार ने बताया, 'हीरा कंपनी यह एलओयू किसी अन्य भारतीय बैंक की विदेशी शाखा को देती थी. यह पूरा फर्जीवाड़ा करीब 11,400 करोड़ रुपये का है.' पीएनबी से हासिल इस एलओयू के आधार पर ही यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, एक्सिस बैंक आदि ने हीरा कंपनियों को कर्ज दिया. लेकिन पकड़े जाने से बचने के लिए पीएनबी के कर्मचारी बैंक के रजिस्टर में एलओयू को दर्ज ही नहीं करते थे.

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सूत्रों के अनुसार पीएनबी के एलओयू पर यूनियन बैंक ने 2,300 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक ने 2,000 करोड़ रुपये और एसबीआई ने 960 करोड़ रुपये का लोन दिया.

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