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AAP से राज्यसभा सीट का ऑफर, रघुराम राजन बोले- 'नो थैंक्स'

रघुराम राजन की तरफ से यह सफाई उनके शिकागो युनिवर्सिटी ऑफिस से बुधवार को जारी की गई. सफाई में कहा गया, हालांकि प्रोफेसर रघुराम राजन भारत में शिक्षा से जुड़ी कई गतिविधियों में शामिल हैं लेकिन फिलहाल उनका शिकागो युनिवर्सिटी में अपनी फुल टाइम नौकरी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है.

आप की राजनीति नहीं करेंगे राजन आप की राजनीति नहीं करेंगे राजन
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का फिलहाल अमेरिकी विश्वविद्यालय से एक बार फिर छुट्टी लेकर भारत में राजनीति करने का कोई इरादा नहीं है. राजन की तरफ से यह सफाई आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस दावे के बाद दी गई कि वह राजन को पार्टी की तरफ से राज्य सभा भेजने की तैयारी में हैं.

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रघुराम राजन की तरफ से यह सफाई उनके शिकागो युनिवर्सिटी ऑफिस से बुधवार को जारी की गई. सफाई में कहा गया, हालांकि प्रोफेसर रघुराम राजन भारत में शिक्षा से जुड़ी कई गतिविधियों में शामिल हैं लेकिन फिलहाल उनका शिकागो युनिवर्सिटी में अपनी फुल टाइम नौकरी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है.

आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि वह रघुराम राजन से संपर्क में है और पेशकश की है कि राजन पार्टी की तरफ से राज्य सभा के सदस्य बनें. आम आदमी पार्टी को जनवरी 2018 तक अपने कोटे से राज्य सभा में तीन सदस्य भेजने हैं.

इसे भी पढ़ें: रघुराम राजन बोले- सरकार का नौकर नहीं होता रिजर्व बैंक का गवर्नर

माना जा रहा है कि पार्टी में इन तीन सीटों से उम्मीदवारी पाने के लिए कई आप नेता दावा कर रहे हैं जिससे आंतरिक कलह जैसी स्थिति पैदा हो गई है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल ने इसी कलह को ध्यान में रखते हुए रघुराम राजन को राजनीति में लाने की पेशकश की थी.

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गौरतलब है कि रघुराम राजन 2005 में तब सुर्खियों में आए जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्होंने वैश्विक आर्थिक संकट की सटीक भविष्यवाणी की थी. इसके बाद 2008 में महज 40 साल की उम्र में राजन अंतरराष्ट्रीय मॉनिटरी फंड के प्रमुख चुने गए. आईएमएफ के वह सबसे युवा और पहले गैर-अमेरिकी गैर-यूरोपीय प्रमुख बने.

2012 में रघुराम राजन को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केन्द्र सरकार का प्रमुख आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया और महज एक साल के अंदर उन्हें देश के केन्द्रीय बैंक की कमान सौंप दी गई. रिजर्व बैंक के उनके कार्यकाल के दौरान कई बार राजन और देश में 2014 के बाद बनी बीजेपी सरकार के बीच खींचतान देखने को मिली थी. राजनीतिक गलियारों में माना जाता है कि इसी खींचतान के चलते उनके कार्यकाल को नहीं बढ़ाया गया और उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक का नया गवर्नर बनाया गया.

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