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किताब के सहारे फिर राजन की दो टूक, 'वादे कम काम अधिक' की जरूरत

प्रमुख अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन का मानना है कि अपार संभावनाओं से संपन्न भारत आगे बहुत कुछ कर सकता है लेकिन उसे आत्मसंतुष्टि से बचना होगा. अपनी किताब के विमोचन के सिलसिले में राजन ने कहा, यह धारणा कि .. हम हर जगह कहें कि हम श्रेष्ठ हैं और हमारे जैसा कोई नहीं है. पहली बात तो यह सत्य नहीं है.

राजन ने कहा कि भरोसा रखें कि हम यह कर सकते हैं. राजन ने कहा कि भरोसा रखें कि हम यह कर सकते हैं.
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

प्रमुख अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन का मानना है कि अपार संभावनाओं से संपन्न भारत आगे बहुत कुछ कर सकता है लेकिन उसे आत्मसंतुष्टि से बचना होगा. अपनी किताब के विमोचन के सिलसिले में राजन ने कहा, यह धारणा कि .. हम हर जगह कहें कि हम श्रेष्ठ हैं और हमारे जैसा कोई नहीं है. पहली बात तो यह सत्य नहीं है.

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भारत में भारी संभावनाएं है और आने वाले वर्षों में हम और बहुत कुछ कर सकते हैं. राजन ने कहा कि भरोसा रखें कि हम यह कर सकते हैं. चलो यह कर दिखाए. लेकिन इसका गर्व हासिल करने के बाद ही किया जाए. उससे पहले ज्यादा आत्मसंतुष्टि में नहीं पड़ें.

इसके साथ ही राजन ने वृद्धि के मामले में चीन के साथ तुलना को लेकर एक तरह से सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा इस मामले में तकलीफदेय सवालों का सामना करने से यही अच्छा है कि हम कम से कम वादे करते हुए अधिक से अधिक हासिल करें.

इसे भी पढ़ें: नोटबंदी का कभी समर्थन नहीं किया, नुकसान को लेकर चेताया था: राजन

राजन ने भारत के लिए अंधों में काना राजा वाले अपने विवादास्पद बयान का भी बचाव किया और कहा कि पिछले साल अप्रैल में उनकी टिप्पणी के बाद से जीडीप में हर तिमाही में घटी है.

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इससे पहले रघुराम राजन ने कहा था कि उन्होंने कभी बहुचर्चित नोटबंदी का समर्थन नहीं किया बल्कि उन्होंने मोदी सरकार को इसके संभावित नुकसानों के प्रति आगाह किया था. राजन ने अपनी पुस्तक आय डू वाट आय डू: ऑन रिफार्म्स रिटोरिक एंड रिजॉल्व में यह खुलासा किया है.

 

 

 

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