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नई नहीं है राहुल बजाज की शिकायत, पहले भी सरकारों पर उठा चुके हैं सवाल

राहुल बजाज एक ऐसे उद्योगपति हैं, जो सरकारों की आलोचना को लेकर काफी मुखर रहते हैं. वह मोदी सरकार की कई मौकों पर आलोचना कर चुके हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि यह आलोचना सिर्फ मोदी सरकार या बीजेपी तक सीमित हो.

प्रख्यात उद्योगपति राहुल बजाज (फाइल फोटो: रॉयटर्स) प्रख्यात उद्योगपति राहुल बजाज (फाइल फोटो: रॉयटर्स)
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

  • शनिवार को एक कार्यक्रम में राहुल बजाज ने कहा कि कारोबारियों में 'डर का माहौल' है
  • राहुल बजाज सत्ता के खि‍लाफ बोलने में हमेशा मुखर रहने वाले उद्योगपति हैं
  • उन्होंने कई बार कांग्रेस और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की भी आलोचना की है

बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज एक ऐसे उद्योगपति हैं, जो सरकारों की आलोचना को लेकर काफी मुखर रहते हैं. वह मोदी सरकार की कई मौकों पर आलोचना कर चुके हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि यह आलोचना सिर्फ मोदी सरकार या बीजेपी तक सीमित हो. उन्होंने कई बार कांग्रेस और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की भी आलोचना की है. एक बार तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि मौजूदा कांग्रेस उनके दादा के जमाने वाली कांग्रेस नहीं है.

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शनिवार को एक अखबार के कार्यक्रम में राहुल बजाज ने गृह मंत्री अमित शाह से कहा था कि जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, तो हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे. अब हम अगर बीजेपी सरकार की खुले तौर पर आलोचना करें तो इतना विश्वास नहीं है कि आप इसे पसंद करेंगे. उन्होंने कहा कि कारोबारियों में 'डर का माहौल' है.

गौरतलब है कि राहुल बजाज स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के पोते हैं. जमनालाल बजाज महात्मा गांधी के काफी करीबी रहे हैं. राहुल बजाज हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़े हैं और राज्यसभा सदस्य भी हैं. उन्हें 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में क्रिएटिंग इमर्जिंग मार्केट्स प्रोजेक्ट के लिए एक साक्षात्कार में राहुल बजाज ने 1990 के दशक में उदारीकरण से पहले भारतीय औद्योगिक नीतियों की आलोचना की थी.

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नोटबंदी की आलोचना

मोदी सरकार द्वारा नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद पुणे में जुलाई 2017 में बजाज ऑटो की सालाना आमसभा (एजीएम) में उन्होंने इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि इससे कोई फायदा होने वाला है. उन्होंने कहा था, 'इस पर सवाल ही है कि यह कारगर रहेगी भी या नहीं. दो महीने से लोग एटीएम, बैंक शाखाओं में लाइन में खड़े हैं, छोटे और मध्यम कारोबार को नुकसान हुआ है.'  

इकोनॉमी में स्लोडाउन पर चिंता

वह अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर भी हमेशा मुखर रहे हैं. बजाज ऑटो के इस साल आयोजित एजीएम में उन्होंने कहा था कि सरकार के डुगडुगी बजाने के बावजूद सच्चाई यह है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती वास्तविक है. उन्होंने कहा था, 'सरकार इसे स्वीकार करे या नहीं, लेकिन अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों से यह साफ है कि पिछले तीन-चार साल में ग्रोथ रेट में गिरावट आई है. सरकार तो अच्छी चीजें दिखाना चाहती है, लेकिन सच्चाई तो सच्चाई है.'

यूपीए सरकार की नीतियों पर हमला  

उन्होंने साल 2004 से 2014 के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की आर्थ‍िक नीतियों की भी कई बार आलोचना की थी. अर्थव्यवस्था की खराब हालत को लेकर उन्होंने जून 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार की निंदा की थी.

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उन्होंने कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा था, 'टिकाऊ ग्रोथ के लिए जरूरी हाईवे, बिजली, रेल, बंदरगाह, आईटी नेटवर्क जैसे जरूरी चीजों पर फोकस करने की जगह हम लगातार सब्सिडी और खैरात देने जैसी खपत आधारित चीजों को बढ़ाकर देश के खजाने का घाटा बढ़ा रहे हैं.'

यह मेरे दादा के दौर की कांग्रेस नहीं

फरवरी 2014 में जब राजीव बजाज के बयान से ऐसा लगा कि वे अरविंद केजरीवाल का समर्थन कर रहे हैं तो इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज ने कहा थे कि वे कांग्रेस‍ विरोधी नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा, 'यह वह कांग्रेस नहीं है, जो मेरे दादा जमनालाल बजाज के दौर में थी.'  

साल 2015 में संसद में बने गतिरोध पर राहुल बजाज ने कहा था कि मोदी सरकार सुधारों पर विरोधाभासी संकेत दे रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को कांग्रेस से बात कर संसद का गतिरोध दूर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच बना तनाव इमरजेंसी के दौर से भी खराब है.

बीजेपी कोई अछूत दल नहीं है

इसके काफी पहले 1997 की बात है. तब देश में एचडी देवगौड़ा और उनके बाद इंद्र कुमार गुजराल के दौर की अस्थ‍िर सरकारों का दौर था. तब राहुल बजाज ने कहा था कि बीजेपी कोई अछूत दल नहीं है. उन्होंने कहा, 'बीजेपी की सरकारें कई राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं और केंद्र में भी 14 दलों के गठबंधन की जगह एक पार्टी की सरकार होनी चाहिए.' 

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