Advertisement

महंगा होगा कर्ज? इन कारणों से आज RBI बढ़ा सकता है ब्याज दर

कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों से जहां केन्द्र सरकार के इंपोर्ट बिल में बड़ा इजाफा हो गया है वहीं डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहे रुपये से रिजर्व बैंक के सामने इंपोर्टेड इंफ्लेशन का खतरा खड़ा हो गया. इसके अलावा, यदि मानसून ने धोखा दे दिया तो महंगाई बेकाबू हो सकती है.

उर्जित पटेल, गवर्नर, रिजर्व बैंक उर्जित पटेल, गवर्नर, रिजर्व बैंक
राहुल मिश्र
  • मुंबई,
  • 01 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

केन्द्रीय रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरों में इजाफा करने का फैसला कर सकता है. रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति (एमपीसी बैठक) में लगातार बढ़ती महंगाई और सुधार की दिशा में बढ़ती अर्थव्यवस्था में सामंजस्य बैठाने के लिए यह फैसला ले सकती है.

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की ब्याज दरों को बढ़ाने अथवा घटाने के लिए अपनी क्रेडिट पॉलिसी पर बैठक कर रही हे. इस बैठक का आज आखिरी दिन है और शाम तक रिजर्व बैंक अपना फैसला सुनाएगी.

Advertisement

रॉयटर की खबर के मुताबिक वैश्विक आर्थिक परिस्थिति और घरेलू बाजार पर जारी दबाव के चलते रिजर्व बैंक लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में इजाफा करने का फैसला कर सकता है. गौरतलब है कि अक्टूबर 2013 के बाद यह पहला मौका होगा जब रिजर्व बैंक लगातार दो बार ब्याज दरों में इजाफा करेगा.

इससे पहले रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2013 में लगातार दो बार ब्याज दरों में इजाफा करने का फैसला लिया था. रिजर्व बैंक ने जून में चार साल के बाद पहली बार ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा करते हुए ब्याज दर को 6.25 कर दिया था. यदि एक बार फिर इजाफा किया जाता है तो देश में प्राइम लेंडिंग रेट 6.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा जो मौजूदा सरकार के कार्यकाल में शीर्ष स्तर होगा.

रॉयटर ने पिछले हफ्ते 63 अर्थशास्त्रियों के एक सर्वे में पाया कि 37 अर्थशास्त्री मानते हैं कि मौजूदा आर्थिक हालात में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है. वहीं 22 अर्थशास्त्रियों का दावा है कि ब्याज दरों में इजाफा अगली मौद्रिक नीति अथवा 2019 की पहली मौद्रिक नीति के दौरान किया जा सकता है.

Advertisement

इसे पढ़ें: क्या चुनावी जुमला हैं यूपी में निवेश के बड़े ऐलान, अलग तस्वीर दिखा रहा है GDP अनुमान

एल एंड टी फाइनेंस होल्डिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री का मानना है कि चूंकि रिजर्व बैंक देश में बढ़ रही महंगाई पर लगाम लगाने के लिए तत्पर है लिहाजा उसके पास ब्याज दरों में इजाफे के अलावा और कोई विकल्प नहीं मौजूद है.

हालांकि जून में मौद्रिक समीक्षा के दौरान रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में इजाफा किया लेकिन अपने नीतिगत दृष्टिकोण को तत्कालीन चुनौतियों के चलते जारी रखा था. वहीं इस बैठक के दौरान रिजर्व बैंक के सामने क्रूड ऑयल की कीमतों समेत कई मुद्दे हैं जिनसे चुनौतियों में इजाफा हुआ है. लिहाजा माना जा सकता है कि रिजर्व बैंक एक बार फिर अपने नीतिगत दृष्टिकोंण में कोई बदलाव न करे.

गौरतलब है कि जून के दौरान वार्षित उपभोक्ता महंगाई 5 फीसदी के स्तर को छू चुकी है और यह लगातार आठवां महीना है जब महंगाई का आंकड़ा रिजर्व बैंक के 4 फीसदी के टार्गेट से ऊपर बना है.

ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें इस साल लगभग 20 फीसदी बढ़ चुकी है और मई के दौरान क्रूड ऑयल 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर चला गया. क्रूड का यह स्तर 2014 के बाद का सर्वाधिक स्तर है. इस इजाफे से केन्द्र सरकार के आयात बिल में बड़ा इजाफा हुआ है वहीं इसके विपरीत रुपये का स्तर डॉलर के मुकाबले बेहद कमजोर चल रहा है. लिहाजा, रिजर्व बैंक को आयातित महंगाई का डर सता रहा है.

Advertisement

खास बात है कि इस साल रिजर्व बैंक को अच्छे मानसून से महंगाई में राहत की उम्मीद थी लेकिन मॉनसून के ताजे आंकड़े रिजर्व बैंक की परेशानी को बढ़ा रहे हैं. मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देशभर में मानसून पैटर्न डिस्टर्ब रहा है और कई क्षेत्रों में असंतुलित बारिश दर्ज हुई है. इसके चलते रिजर्व बैंक को डर है कि उसकी सबसे बड़ी उम्मीद कि खरीफ पैदावार से महंगाई को काबू किया जा सकता है पर पानी फिर सकता है. इस उम्मीद के उलट खरीफ पैदावार कमजोर पड़ने की स्थिति में महंगाई के बेकाबू होने का भी खतरा मंडरा रहा है.

हालांकि कोटक म्यूचुअल फंड के अर्थशास्त्री की दलील है कि यह संभव है कि रिजर्व बैंक फिलहाल स्थिति का सटीक आंकलन करने के लिए इंतजार करने की नीति पर जा सकती है और इस बैठक के दौरान ब्याज दरों में परिवर्तन को टाल सकती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement