
दबाव के आगे झुकते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों की जांच संबंधी रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को एक केंद्रीय आर्थिक खुफिया इकाई के साथ साझा करने पर सहमति जता दी है. एजेंसी को इससे मनी लॉन्ड्रिंग और दूसरे बैंकिंग कानूनों के उल्लंघन की जांच करने में मदद मिलेगी.
आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली शीर्ष खुफिया एजेंसी, केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) के साथ आपसी सहमति ग्यापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा.
रिजर्व बैंक ने इससे पहले कई बार अपनी जांच रिपोर्ट को ब्यूरो के साथ साझा करने से इनकार किया. रिजर्व बैंक ने ऐसा करने में कानूनी अड़चनों का जिक्र किया. हालांकि इस मुद्दे को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली आर्थिक खुफिया परिषद (ईआईसी) की बैठक में कई बार उठाया गया.
मामले को लॉ मिनिस्ट्री को भेजा गया जिसने कहा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 और दूसरे बैंकिंग कानून रिजर्व बैंक को उसकी जांच रिपोर्ट को प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा करने से नहीं रोकते हैं.