
बजट से ठीक दो हफ्ते पहले जीएसटी परिषद की गुरुवार को 25वीं बैठक हुई. इस बैठक से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर कोई फैसला हो सकता है. रियल इस्टेट को भी इसके दायरे में लिए जाने का भी सब लोग इंतजार कर रहे थे, लेकिन इन दोनों मोर्चों पर कोई फैसला नहीं हो सका.
नहीं हुई चर्चा
पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. शुक्रवार को मुंबई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 79.58 पर पहुंच गई है. वहीं, डीजल भी यहां 66 रुपये के पार पहुंच चुका है. इस बढ़ोतरी के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा, लेकिन इस पर न चर्चा हुई और न ही कोई फैसला ही हो सका.
ये है पेंच
दरअसल पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए सभी राज्यों की सहमति जरूरी है. फिलहाल सभी राज्य इसके लिए तैयार नहीं हैं. इसकी एक अहम वजह है राजस्व. पेट्रोल और डीजल की बिक्री से राज्यों का काफी ज्यादा राजस्व आता है. यह राजस्व उन्हें डीजल और पेट्रोल पर वैट के जरिये मिलता है.
50 रुपये से कम हो जाएगी कीमत
अगर इन दोनों ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो केंद्र की तरफ से लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और राज्यों का वैट खत्म हो जाएगा. जीएसटी के तहत अधिकतम 28 फीसदी टैक्स लगाया जा सकेगा. क्योंकि नई टैक्स नीति में फिलहाल यही सबसे उच्चतम दर है. इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें 50 रुपये से भी कम हो जाएंगी.
राज्यों को आपत्ति
इससे भले ही आम आदमी को राहत मिले, लेकिन राज्यों को इससे राजस्व में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि सभी राज्य इसके लिए अपनी सहमति देने में समय लगा रहे हैं.
लेकिन जल्द हो जाएगा फैसला
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद बताया कि भले ही सभी राज्य फिलहाल इसके लिए राजी नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए तैयार है. इससे राह थोड़ी आसान हो जाएगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि परिषद की अगली बैठक में इसको लेकर कोई फैसला हो सकता है.
रियल एस्टेट को लेकर चर्चा लेकिन फैसला नहीं
वहीं, रियल एस्टेट की बात करें, तो इसको लेकर परिषद की 25वीं बैठक में चर्चा हुई. हालांकि इसे जीएसटी के दायरे में लाने पर कोई फैसला नहीं हो सका. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि राज्यों ने इसे भी जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध किया है. इसकी वजह से इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो सका.
अब अगली बैठक पर नजर
वित्त मंत्री ने कहा कि अच्छी बात ये है कि कांग्रेस पेट्रोल-डीजल की तरह ही रियल एस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर राजी है. इससे अगली बैठक में इस मोर्चे पर कोई फैसला ले पाना आसान होगा. उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल और रियल इस्टेट को लेकर अगली बैठक में कोई अंतिम फैसला हो सकता है.