
मुद्रा बाजार के सामने खड़े लिक्विडिटी क्राइसिस को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक अहम कदम उठाया है. उसने सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए गुरुवार को बैंकों को सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) में राहत प्रदान की है. उसने इसके नियम सरल कर दिए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान जारी कर कहा लिक्विडिटी क्राइसिस से निपटने के लिए बैंक एसएलआर में रखी अपनी जमा पूंजी में से 15 फीसदी निकाल सकते हैं. ताकि वे स्टैच्युअरी लिक्विडिटी रेशियो (SLR) की अपनी जरूरत को पूरा कर सकें. मौजूदा समय में यह अनुपात 13 फीसदी है.
आरबीआई ने अपने बयान में बताया कि सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में दी जा रही ये राहत एक अक्टूबर से लागू होगी. आरबीआई ने साफ कहा है कि एसएलआर बनाए रखने के लिए बैंकों के पास 13 फीसदी तक नकदी निकालने की सुविधा होगी. मौजूदा समय में यह 11 फीसदी है.
भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से यह घोषणा ऐसे समय में की गई है. जब बैंक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों को कर्ज देने में हिचकिचा रहे हैं. लिक्विडिटी को लेकर बैंकों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ है.
आरबीआई ने सभी बैंकों को आश्वासन दिया है कि सिस्टम में लिक्विडिटी बनाए रखने की खातिर वह हर तरह से तैयार है. वह अलग-अलग विकल्पों को लागू कर इसे नियंत्रण में रखने का काम करेगा.
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा है कि खुले बाजार में गुरुवार से सरकारी प्रतिभूतियों की दोबारा से खरीद-फरोख्त शुरू की जा सकती है. इससे सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी बनी रहेगी.