
महंगाई फिर ऊंचाई की ओर जाने लगी है. जून महीने में खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी तक पहुंच गई है. जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय सुविधाजनक दायरे से बाहर हो चुकी है.
गौरतलब है कि कोरोना लॉकडाउन के बीच आंकड़ों के अभाव का हवाला देकर सरकार ने अप्रैल और मई के खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी नहीं किए थे. रिजर्व बैंक ने 6 फीसदी तक महंगाई को सुविधाजनक स्तर माना है. मार्च में खुदरा महंगाई दर 5.84 फीसदी थी.
मार्च के लिए खुदरा महंगाई का आंकड़ा पहले 5.91 फीसदी का जारी किया गया था, लेकिन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने बाद में इसे संशोधित कर 5.84 फीसदी तक कर दिया. फरवरी में खुदरा महंगाई दर 6.58 फीसदी थी.
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खाद्य महंगाई में थोड़ी राहत
सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य महंगाई यानी कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स नौ महीने के निचले स्तर 7.87 फीसदी पर पहुंच गई है. मई में यह 9.2 फीसदी थी.
खुदरा महंगाई में यह बढ़त मुख्य दालों, मसालों, मांस-मछली, खाद्य तेलों-वनस्पति घी, पान-तंबाकू आदि की कीमतों में तेज बढ़त के कारण हुई है. जून के दौरान दालों की कीमतों में 16.68 फीसदी और मसालों की कीमतों में 11.74 फीसदी की बढ़त हुई है.
जून महीने में सब्जियों की महंगाई महज 1.87 फीसदी रही है. लेकिन जुलाई में जिस तरह से खुदरा बाजार में सब्जियों के दाम बढ़े है, उससे इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि जुलाई महीने में खुदरा महंगाई और बढ़ जाए.
ऐसे जुटाए गए आंकड़े
मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जून महीने के दौरान 1,030 शहरी बाजारों और 998 ग्रामीण बाजारों से आंकड़े इकट्ठा किए हैं. कोरोना की वजह से कई इलाकों में बंदिशों की वजह से फोन से भी आंकड़े जुटाए गए.
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अब क्या करेगा रिजर्व बैंक
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक अपनी नीतिगत समीक्षा के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़ों का ही इंतजार करता है. रिजर्व बैंक का मानना है कि खुदरा महंगाई 4 फीसदी से 6 फीसदी के बीच रहे तो उसके लिए सुविधाजनक है और इससे ज्यादा होने पर उसे उचित कदम उठाना पड़ेगा.
कोरोना संकट के बीच रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कई बार कटौती कर चुका है. ऐसे में ब्याज दरों में भी कटौती की गुंजाइश बहुत कम दिख रही है. ऐसे में देखना होगा कि रिजर्व बैंक अब होने वाली नीतिगत समीक्षा में क्या कदम उठाता है.