
केंद्र में आने वाली सरकार के सामने महंगाई पहले से ही चुनौती बनकर खड़ी हो गई है. खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर अप्रैल महीने में बढ़कर 2.92 प्रतिशत हो गई. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने 2.86 फीसदी और एक साल पहले अप्रैल 2018 में 4.58 फीसदी पर थी.
आंकड़ों के अनुसार खाद्य पदार्थों की श्रेणी में महंगाई दर अप्रैल में 1.1 फीसदी पर पहुंच गई जो मार्च में 0.3 फीसदी थी. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है.
आने वाली सरकार के सामने चुनौती
दरअसल पिछले कुछ महीनों में कई खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं. पश्चिमी और दक्षिणी भारत के कई हिस्सों में सूखे और गर्मी जल्दी आने की वजह से खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हैं. महंगाई दर में बढ़ोतरी केंद्र में आने वाली सरकार के लिए चिंता विषय है.गौरतलब है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में देश को महंगाई से काफी राहत मिली थी. खाद्य महंगाई और खुदरा महंगाई दोनों काफी नीचे रहे. लेकिन अब केंद्र में जो भी सरकार आएगी, उसके लिए बढ़ती महंगाई फिर से एक चुनौती पैदा कर सकती है. हालांकि इसके बावजूद यह रिजर्व बैंक के लिए सुविधाजनक स्तर 4 फीसदी से कम है.
महंगाई बढ़ने से लोग परेशान
यूपीए सरकार के दौर में महंगाई के काफी ऊंचे आंकड़ों की वजह से ही जनता परेशान हो गई थी और इसकी वजह से सरकार के खिलाफ माहौल बन गया था. लेकिन इस बार के आम चुनाव में महंगाई कोई मसला ही नहीं है.बता दें, लगातार 9 महीने से महंगाई रिजर्व बैंक के लिए सुविधाजनक स्तर पर बनी हुई है. रिजर्व बैंक फरवरी और अप्रैल महीने में दो बार ब्याज दरों में कटौती कर चुका है. जबकि मार्च में महंगाई दर 2.86 फीसदी थी. सब्जियों, अनाज जैसी खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ने की वजह से मुख्य महंगाई का आंकड़ा बढ़ रहा है.
आगे भी महंगाई दर बढ़ने की आशंका
यही नहीं, आने वाले महीनों में महंगाई दर और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती जा रही हैं और ऐसा माना जा रहा है कि सरकार चुनावों को देखते हुए देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ रहे हैं, यानी चुनावों के बाद इनकी कीमतों में बड़ा इजाफा हो सकता है. ईंधन की कीमतों के बढ़ने खाद्य वस्तुओं की कीमतें और बढ़ जाएंगी.