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आर्थिक आंकड़ों में आई सुस्‍ती, क्‍या RBI से फिर मिलेगी आपको राहत?

अगस्‍त महीने की खुदरा महंगाई और औद्योगिक उत्पादन  के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं. इन आंकड़ों के आने के बाद आरबीआई पर रेपो रेट में कटौती का दबाव बढ़ गया है.

आरबीआई पर रेपो रेट में कटौती का दबाव बढ़ गया है आरबीआई पर रेपो रेट में कटौती का दबाव बढ़ गया है
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 13 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

  • मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक अक्‍टूबर में होने वाली है
  • बैठक में एक बार फिर आरबीआई रेपो रेट पर फैसला ले सकता है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मौद्रिक नीति समिति की अगली समीक्षा बैठक अक्‍टूबर में होने वाली है. इस बैठक में रेपो रेट में एक बार फिर कटौती की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो आम लोगों को पर्सनल, होम या ऑटो लोन की ईएमआई के मोर्चे पर राहत मिलेगी. बीते दिसंबर महीने से लगातार चार बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है, जो अब 5.40 फीसदी है.

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बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इसी आधार पर ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को राहत मिलती है. इसके बाद बैंक कर्ज को कम ब्‍याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं.

1 अक्‍टूबर से रेपो रेट से लिंक होंगे लोन

वर्तमान में आरबीआई की ओर से रेपो रेट में कटौती के बाद भी बैंक अपने मनमुताबिक ब्‍याज दर पर राहत देते हैं लेकिन आगामी 1 अक्‍टूबर से ऐसा नहीं होगा. दरअसल, बीते दिनों रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को 1 अक्टूबर से रेपो रेट के साथ होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और एमएसएमई सेक्टर के सभी प्रकार के लोन को जोड़ने के लिए कहा है. इसका मतलब यह हुआ कि अक्‍टूबर में अगर रेपो रेट कटौती होता है तो आम लोगों को इसका तुरंत फायदा मिलेगा.

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क्‍यों हो सकती है कटौती

दरअसल, अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में सुस्‍ती की वजह से आरबीआई पर रेपो रेट में कटौती का दबाव बढ़ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.15 से 0.25 फीसदी की और कटौती कर सकती है. इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर न्‍यूज एजेंसी पीटीआई से कहा ,  " हम आर्थिक वृद्धि से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक अक्टूबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में रेपो दर में 0.15 से 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. " वहीं इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक आर्थिक सुस्ती को रोकने और अर्थव्यवस्था को तेजी के रास्ते पर वापस लाने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन देना समय की जरूरत है.

क्‍या कहते हैं ताजा आंकड़े

अगस्त महीने में खुदरा महंगाई बढ़कर 10 महीने के उच्चतम स्तर 3.21 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि , महंगाई अब भी रिजर्व बैंक के निर्धारित लक्ष्य के दायरे में है. लेकिन अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण इंडिकेटर औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की चाल कुछ धीमी पड़ गई है. इसको देखते हुए संभवत: रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती की दिशा में एक बार फिर विचार कर सकता है. बता दें कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर आधारित औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जुलाई माह में 4.3 फीसदी रही. यह जून के मुकाबले तो काफी ऊपर है लेकिन एक साल पहले जुलाई के मुकाबले यह नीचे है. जुलाई 2018 में यह 6.5 प्रतिशत रही थी जबकि पिछले महीने जून में काफी नीचे 1.2 फीसदी रही थी.

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