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स्वदेशी जागरण मंच ने BMGF और GHS के भारत परिचालन की जांच की मांग की

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह निदेशक डॉ. अश्विनी महाजन ने पत्र में कहा, 'फाउंडेशन की गतिविधियां संदिग्ध हैं इन आरोपों के कारण गृह मंत्रालय उनकी निगरानी रखता है.' पत्र में दावा किया गया है कि गृह मंत्रालय सावधानी बरतने लगा है, क्योंकि यह आरोप है कि फाउंडेशन स्वास्थ्य और कृषि से संबंधित सरकारी नीतियों को प्रभावित करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में काम कर रहा है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने दो एमएनसी गैर-सरकारी संगठनों- बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटजीज (जीएचएस) के भारत परिचालन की जांच की मांग करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है.

दरअसल, स्वदेशी जागरण मंच के सदस्य रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड में हाल ही में नियुक्त हुए नचिकेत मोर की नियुक्ति से खुश नहीं हैं. पत्र में स्वदेशी जागरण मंच ने नचिकेत की नियुक्ति को रोकने के लिए प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की भी मांग की है. पत्र में हितों के टकराव को रोकने के लिए पीएम मोदी के हस्तक्षेप की गुजारिश की गई है.

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इस पत्र में कहा गया है कि यह नियुक्ति हितों के टकराव का एक स्पष्ट मामला है. नचिकेत, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) का पूर्णकालिक भारत प्रतिनिधि है. एनजीओ को विदेशों से फंड मिलता है जिसका भारतीय रिजर्व बैंक नियामक है.

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह निदेशक डॉ. अश्विनी महाजन ने पत्र में कहा, 'फाउंडेशन की गतिविधियां संदिग्ध हैं इन आरोपों के कारण गृह मंत्रालय उनकी निगरानी रखता है.' पत्र में दावा किया गया है कि गृह मंत्रालय सावधानी बरतने लगा है, क्योंकि यह आरोप है कि फाउंडेशन स्वास्थ्य और कृषि से संबंधित सरकारी नीतियों को प्रभावित करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में काम कर रहा है.

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प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में हाल ही की मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला दिया गया है कि यह फाउंडेशन एक एनजीओ को फंड उपलब्ध करवा रहा है. साथ ही कहा गया है कि ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटजीज या जीएचएस को वित्तपोषित करने के लिए-भारत में वैश्विक तौर पर निरर्थक टीके भेजने पर जोर दिया जा रहा है.

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डॉ. महान ने कहा है कि जीएचएस के एक पैनल पर नियुक्त स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव पर भी हितों के टकराव के मामले का गंभीर आरोप है. वही सचिव नेशनल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम का जिम्मेदार और जीएचएस टीके जैसे एचपीवी वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए पैरवी कर रहा है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि प्रश्न नेशनल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम पर फार्मा के दिग्गजों के प्रभाव के बारे में उठाए जा रहे हैं.

पत्र में आरोप लगाया गया है कि एसजेएम ने पाया है कि बीएमजीएफ और जीएचएस गलत टीके के लिए पैरवी कर रहे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री से दो गैर-सरकारी संगठनों पर अपनी निगरानी बढ़ाने और अपने धन और स्रोत की जांच के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया है.

एसजेएम ने कृषि मंत्रालय, राष्ट्रीय उद्योग संस्थान, आईसीएमआर, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, वित्त मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी एनजीओ और उनके प्रतिनिधियों को खाड़ी में रखने के निर्देश दिए हैं. आरएसएस ने मांग की है कि इन गैर-सरकारी संगठनों और उनके साथ जुड़े सरकारी अधिकारियों के कामकाज की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए.

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