
बीते 70 साल में केन्द्र सरकार 7 वेतन आयोग (सेन्ट्रल पे कमीशन-CPC) बना चुकी है. 7वें वेतन आयोग ने केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी को 14.27 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की है.
जानिए इससे पहले बने वेतन आयोगों ने कितनी बढाई सैलरी
1947 में आजादी मिलने के बाद केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 55 रुपये प्रति माह थी. वहीं केन्द्र सरकार के आला अधिकारियों की सैलरी 2000 रुपये प्रति माह थी.
6वें वेतन आयोग से मिली बढ़ोत्तरी के बाद केन्द्र सरकार के आला अधिकारी की सैलरी 90,000 रुपये प्रति माह थी. वहीं सरकार में न्यूनतम सैलरी 7,000 रुपये प्रति माह थी.
जानिए किस वेतन आयोग ने कितनी बढ़ाई सैलरी
सातवें वेतन आयोग की 14.27 फीसदी इजाफे के बाद केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 7000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह हो गई है.
वहीं केन्द्र सरकार के आला अधिकारियों की अधिकतम सैलरी 90,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये प्रति माह कर दी गई है.
केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी को 70 साल में 55 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह कर दी है.
70 साल में सरकारी कर्मचारी की न्यूनतम सैलरी में यह 32,727 फीसदी का इजाफा है.
वहीं केन्द्र सरकार के आला अधिकारी की अधिकतम सैलरी इन 70 साल के दौरान 2000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये कर दी गई है.
सात वेतन आयोगों द्वारा किया गया यह इजाफा 12,500 फीसदी है.