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रिकॉर्ड बढ़त के बाद लुढ़का सेंसेक्‍स, निफ्टी भी लाल निशान पर बंद

रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भारत के बारे अपने आउटलुक को नेगेटिव कर दिया है. शुक्रवार को इस खबर का असर भारतीय शेयर बाजार पर दिखा.

निफ्टी 11 हजार 910 के नीचे बंद निफ्टी 11 हजार 910 के नीचे बंद
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 08 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:27 PM IST

  • सेंसेक्‍स कारोबार के दौरान 40,749.33 अंक के नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा
  • कारोबार के अंत में 330.13 अंक लुढ़क कर 40,323.61 अंक पर बंद हुआ

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अर्थव्‍यवस्‍था के मोर्चे पर भारत को बड़ा झटका दिया है. दरअसल, मूडीज ने भारत के बारे में अपने आउटलुक यानी नजरिए को 'स्टेबल' (स्थि‍र) से घटाकर 'निगेटिव' कर दिया है. रेटिंग एजेंसी के इस फैसले की वजह से भारतीय शेयर बाजार में दिनभर उतार चढ़ाव देखने को मिला.

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बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्‍स कारोबार के दौरान 40,749.33 अंक के नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया. लेकिन कारोबार के अंत में यह 330.13 अंक यानी 0.81 फीसदी लुढ़क कर 40,323.61 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी की बात करें तो 103.90 अंक यानी 0.86 फीसदी लुढ़ककर 11,908.15 अंक पर बंद हुआ.

किस शेयर का क्‍या हाल

कारोबार के अंत में सनफार्मा के शेयर 4.23 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए. वहीं वेदांता में 3.39 फीसदी की गिरावट रही जबकि ओएनजीसी, टीसीएस, एचयूएल और आईटीसी के शेयर 2 फीसदी से अधिक लुढ़क कर बंद हुए. इसके अलावा एनटीपीसी, एशियन पेंट, इन्‍फोसिस, बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स, टाटा स्‍टील, पावरग्रिड, एक्‍सिस बैंक और मारुति में 1 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. इस बीच, यस बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक बैंक, टेक महिंद्रा और एचसीएल टेक के शेयर 3.76 फीसदी तक बढ़ गए.

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मूडीज ने आर्थिक मोर्चे पर दिया झटका

बता दें कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत को झटका देते हुए आउटलुक यानी नजरिए में निगेटिव बदलाव किया है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार आर्थिक मोर्चे पर जारी सुस्ती को दूर करने में आंशिक रूप से नाकाम रही है. इसके चलते आर्थिक वृद्धि के नीचे बने रहने का जोखिम बढ़ गया है.

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.7 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है. यह सरकार के राजकोषीय घाटे के 3.3 फीसदी पर रखने के लक्ष्य से काफी नीचे है. सुस्त आर्थिक वृद्धि और कॉरपोरेट टैक्‍स में अचानक की गई कटौती से राजस्व वृद्धि कमजोर रहने का अनुमान लगाया गया है. 

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