
भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर ने फैसला किया है कि वह अपने पास रखे सोने में से 35 किलो सोना मोदी सरकार की गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में निवेश करेगा. आपको बता दें कि इस मंदिर के ट्रस्टी के रूप में PM मोदी सहित कई नेता शामिल हैं जिन्होंने इस स्कीम में सोने के निवेश के लिए मंदिर प्रशासन को मंजूरी दे दी है.
ट्रस्ट के सचिव पीके लाहिड़ी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ट्रस्ट के पास करीब 35 किलो सोना ऐसा है जो शुद्ध सोने या गहनों के रूप में है. उन्होंने कहा कि हमारे पास उपलब्ध सोने में से ज्यादातर सोने का इस्तेमाल हम मंदिर की सजावट में करते हैं. 35 किलो सोना ऐसा है जिसे रोज के काम में इस्तेमाल नहीं किया जाता है इसलिए इसे हमने इस स्कीम में लगाने का फैसला किया है.
आपको बता दें कि इससे पहले सिद्धिविनायक मंदिर ने 40 किलो सोना मोदी सरकार की गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में निवेश करने का फैसला किया था. इस निवेश से मंदिर को 69 लाख रुपये का सालाना ब्याज मिलने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि देश में बेकार पड़े 1,000 अरब डॉलर मूल्य के सोने को बाजार में लगाने की सरकार की कोशिशों के बीच सभी की नजरें सोने के बड़े-बड़े भंडार रखने वाले मंदिरों पर है. हालांकि इनमें से कई मंदिरों के संचालकों को इस बात की आशंका है कि श्रद्धालुओं से दान में प्राप्त स्वर्ण आभूषणों व वस्तुओं को सरकारी योजना के लिए गलाने से धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं.
क्या है योजना और प्रक्रिया
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी स्वर्ण मौद्रिकरण योजना का लक्ष्य मकानों, धार्मिक संस्थानों और अन्य जगहों पर पड़े अनुमानित 22,000 टन सोने को वित्तीय प्रणाली में लाना है. सोने को आभूषण के रूप में भी जमा किया जा सकता है, लेकिन बैंक उसे पिघला कर उसकी शुद्धता की जांच के बाद जमा आभूषणों का मूल्य तय करते हैं.