
केंद्र सरकार कर्ज में फंसी कंपनी यूनिटेक लिमिटेड को टेकओवर करने को तैयार हो गई है. सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वह यूनिटेक लिमिटेड का प्रबंधन अपने हाथ में लेने और कंपनी की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के अपने 2017 के प्रस्ताव पर पुनर्विचार को तैयार है. सरकार के इस कदम से यूनिटेक के हजारों परेशान घर खरीदारों को राहत मिलने की उम्मीद है.
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2019 को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह 2017 के अपने प्रस्ताव पर विचार करने के लिये तैयार है. कोर्ट के मुताबिक कर्ज में डूबी यूनिटेक लिमिटेड की प्रोजेक्ट्स को किसी विशिष्ट एजेंसी द्वारा अपने हाथों में लेने की तत्काल जरूरत है, ताकि घर खरीदारों के हित में अटकी परियोजनाओं को तय समय के भीतर पूरा किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट के इसी सवाल पर केंद्र सरकार ने अब जवाब दिया है. केंद्र सरकार ने नये नोट में पुराने प्रस्ताव पर विचार करने की सहमति व्यक्त करने के साथ ही यह भी कहा कि वह कंपनी की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इसमें पैसे नहीं लगाएगी.
क्या है सरकार का प्रस्ताव
सरकार ने यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंधन को हटाकर सरकार द्वारा नामित 10 निदेशक नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव में हरियाणा कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी युद्धवीर सिंह मलिक को चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बनाने का सुझाव दिया गया था. वहीं सदस्यों के लिए सरकार ने एनबीसीसी के पूर्व सीएमडी ए.के.मित्तल, एचडीएफसी क्रेडिला फाइनेंस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की चेयरमैन रेणू सूद कर्णाड, एंबैसी ग्रुप के सीएमडी जीतू वीरवानी और हीरानंदानी ग्रुप के एमडी निरंजन हीरानंदानी का नाम सुझाया गया है. सरकार ने यह भी कहा कि प्रस्तावित निदेशक मंडल द्वारा तैयार सॉल्यूशन ड्राफ्ट के निरीक्षण के लिए कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की भी नियुक्ति कर सकता है.
29,800 घर खरीदारों से 14,270 करोड़ जुटाए
बता दें कि यूनिटेक लिमिटेड के बारे में फोरेंसिक ऑडिटर द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2006 से 2014 के दौरान 29,800 घर खरीदारों से करीब 14,270 करोड़ रुपये और छह वित्तीय संस्थानों से करीब 1,805 करोड़ रुपये जुटाने का पता चला है. इस रकम में से 5,800 करोड़ रुपये से अधिक का इस्तेमाल नहीं किया गया.
यही नहीं, साल 2007 से 2010 के दौरान कंपनी द्वारा कर चोरी के लिहाज से पनाहगाह माने जाने वाले देशों में बड़ा निवेश किये जाने का पता चलता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक लिमिटेड के प्रमोटर्स के खिलाफ मनी लॉड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया. यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा घर खरीदारों से प्राप्त धन की हेरा-फेरी के आरोप में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं.