
टाटा स्टील यूरोप ने 3,000 कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया है. इसमें से 1000 नौकरियां टाटा स्टील यूके में जाएंगी. दूसरी तरफ, समूह की ही एक और कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने 1,600 कर्मचारियों को वीआरएस देने का ऐलान किया है.
टाटा स्टील यूरोप ने अपने कारोबार के पुनर्गठन के लिए यूरोपियन वर्क कौंसिल (EWC) से सलाह लेनी शुरू की है. इसके तहत ही कंपनी में छंटनी की जा सकती है. पिछले हफ्ते टाटा स्टील ने कहा था कि कंपनी को नुकसान और स्टील उद्योग में वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों की वजह से उसे छंटनी के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
क्या कहा कंपनी ने?
टाटा स्टील ने एक बयान में कहा, 'व्यापक प्रस्तावों के तहत टाटा स्टील यूरोप अपने कर्मचारियों की लागत में कटौती करना चाहती है. इसके तहत कर्मचारियों की संख्या में 3,000 तक कटौती हो सकती है. इसमें से दो-तिहाई हिस्सा मैनेजमेंट और ऑफिस आधारित कामकाज में होगा. इसमें से 1,600 नौकरी नीदरलैंड, 1000 यूके और 350 बाकी जगहों पर जा सकती है.
क्यों हुई कंपनी को मुश्किल?
दूसरी तरफ टाटा मोटर्स ने कहा है कि भारत में ऑटो सेक्टर में मंदी को देखते हुए उसे अपने करीब 1,600 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) देनी पड़ेगी. बिजनेस अखबार मिंट के अनुसार, कंपनी ने कहा कि यह छंटनी उसके पैसेंजर से लेकर कॉमर्शियल व्हीकल बिजनेस सेगमेंट तक में हो सकती है.
गौरतलब है कि भारतीय ऑटो सेक्टर पिछले एक साल से ज्यादा समय से मंदी का सामना कर रहा है. हाल में बीते त्योहारी सीजन में ऑटो सेक्टर को कुछ राहत जरूरी मिली है, लेकिन इसे खास सुधार नहीं कहा जा सकता. सरकार द्वारा अप्रैल 2020 से बीएस 6 जैसे कठोर उत्सर्जन मानक अपनाने की वजह से टाटा मोटर्स सहित सभी कंपनियों की परेशानी बढ़ी है. हालांकि कई कंपनियां इसे अपना चुकी हैं.
टाटा मोटर्स को घाटा
टाटा मोटर्स पिछले कई साल से अपने कर्मचारियों की लागत को कम करने का प्रयास कर रही है. इसके पहले साल 2017 में भी कंपनी ने अपने कर्मचारियों को वीआरएस देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ज्यादा कर्मचारी इस पर सहमत नहीं हुए. सितंबर तिमाही में टाटा मोटर्स की कुल बिक्री में कर्मचारी लागत का हिस्सा बढ़कर 10.7 फीसदी तक पहुंच गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 5.9 फीसदी ही था. सितंबर तिमाही में कंपनी को 1,281 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ है, जबकि एक साल पहले समान अवधि में कंपनी को 109.14 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सितंबर महीने में यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 20.1 फीसदी घट गई है.
इस साल सितंबर में यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री 1,57,972 इकाई रह गई है. एक साल पहले सितंबर, 2018 में वाहनों की बिक्री 1,97,653 इकाई रही थी. इस लिहाज से 39,681 वाहनों की बिक्री कम हुई है.
(https://www.businesstoday.in/ के इनपुट पर आधारित)