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साइरस मिस्त्री की बहाली के आदेश को टाटा सन्स ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

साइरस मिस्त्री पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. NCLAT ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री के हटाने को अवैध ठहरा दिया था. 

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा साइरस-टाटा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा साइरस-टाटा का मामला
aajtak.in
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  • 02 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST

  • साल 2016 में चेयरमैन पद से हटा दिए गए थे साइरस मिस्त्री
  • रतन टाटा और साइरस मिस्त्री खेमे में टकराव का था यह नतीजा
  • साइरस खेमा इसके खि‍लाफ पहले NCLT और फिर NCLAT में पहुंचा
  • NCLAT ने साइ‍रस मिस्त्री को फिर से बहाल करने का आदेश दिया था

साइरस मिस्त्री पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. NCLAT  ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री के हटाने को अवैध ठहरा दिया था और उन्हें इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया था.

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क्या था NCLAT का आदेश

गत 18 दिसंबर के अपने आदेश में एनसीएलएटी ने एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने के प्रबंधन के निर्णय को भी अवैध ठहराया था. NCLAT ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री के हटाने को अवैध ठहरा दिया और उन्हें इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया था. नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) ने अपने आदेश में कहा था कि साइरस को फिर से टाटा सन्स का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया जाए.

इसके पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने साइरस मिस्त्री को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था. यह याचिकाएं दो निवेश फर्मों साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प के द्वारा दाखिल की गई थीं.

इसके बाद मिस्त्री ने खुद NCLAT में संपर्क किया था. मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वह टाटा सन्स के छठे चेयरमैन थे. रतन टाटा की रिटायरमेंट की घोषणा के बाद वह साल 2012 में टाटा सन्स के चेयरमैन बने थे.

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क्या था विवाद

रतन टाटा कैम्प और कंपनी बोर्ड ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर साइरस मिस्त्री को बाहर कर दिया था. टाटा सन्स के बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. इसके साथ ही उन्होंने साइरस को ग्रुप की अन्य कंपनियों से भी बाहर निकलने के लिए कहा था. इसके बाद साइरस ने ग्रुप की 6 कंपनियों के बोर्ड से अपना इस्तीफा दिया. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने टाटा सन्स और रतन टाटा को एनसीएलटी में घसीटा.

कभी रतन टाटा के करीबी थे मिस्त्री

जब साइरस मिस्त्री टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था उसके अगले एक साल तक उनके रतन टाटा के साथ संबंध बेहतरीन रहे थे. एक समय तो ऐसा भी आया था कि वे मिस्त्री को ट्रस्टों में कोई भूमिका देने के बारे में सोच रहे थे और यहां तक पहुंच गए थे कि वे अपने अवकाश लेने के बाद कोई ऐसा रास्ता बना सकें ताकि मिस्त्री इन ट्रस्टों के उनके उत्तराधिकारी बन सकें.

क्या था टाटा समूह का पक्ष

टाटा ग्रुप ने कहा कि साइरस मिस्त्री को इसलिए निकाला गया क्योंकि बोर्ड उनके प्रति विश्वास खो चुका था. ग्रुप ने आरोप लगाया था कि मिस्त्री ने जानबूझकर और कंपनी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से संवेदनशील जानकारी लीक की. इसकी वजह से ग्रुप की मार्केट वैल्यू में बड़ा नुकसान हुआ.

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