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अब टैक्स फ्री नहीं सऊदी और यूएई में कमाई, 2018 में बदल रहा ये नियम

वैट की पहल करने वाले दोनों देश गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सदस्य हैं और इनके अलावा कुवैत, बहरैन, ओमान और कतर भी इसमें शामिल हैं. ये सभी देश तेल की कमाई से समृद्ध हुए देश हैं लेकिन बीते कुछ वर्षों से से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में गिरावट से इनकी सरकार बढ़ते राजस्व घाटे से परेशान हैं.

खत्म हो रही टैक्स फ्री की सौगात खत्म हो रही टैक्स फ्री की सौगात
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST

साऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात समेत तेल समृद्ध खाड़ी देश दुनियाभर में टैक्स फ्री कमाई के लिए मशहूर हैं. टैक्स फ्री कमाई का मतलब कि यहां नौकरी पर मिलने वाली सैलरी पर किसी तरह का टैक्स नहीं थोपा जाता. न तो आपको इनकम टैक्स अदा करना पड़ता है. न ही किसी उत्पाद अथवा सेवा को खरीदने पर आपको किसी तरह का टैक्स देना पड़ता है. लेकिन अब नए साल से यह बदल जाएगा क्योंकि सरकार की घटती कमाई से परेशान साऊदी अरब और यूएई अपने देश में 1 जनवरी 2018 से वैल्यू एडेड टैक्स व्यवस्था की शुरुआत करने जा रहे हैं.

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वैट की पहल करने वाले दोनों देश गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सदस्य हैं और इनके अलावा कुवैत, बहरैन, ओमान और कतर भी इसमें शामिल हैं. ये सभी देश तेल की कमाई से समृद्ध हुए देश हैं लेकिन बीते कुछ वर्षों से से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में गिरावट से इनकी सरकार बढ़ते राजस्व घाटे से परेशान हैं. तेल की कीमतों में गिरावट के साथ-साथ इन देशों का हथियार और युद्ध की तैयारी के क्षेत्र में भी बड़ा खर्च है जिसके चलते सरकार की कमाई लगातार कम हो रही है.

लिहाजा, दोनों देशों में सरकार ने नए साल से वैट के जरिए खाद्य सामग्री, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक एंड गैसोलीन, फोन, बिजली और पानी सप्लाई समेत होटल जैसे उत्पाद और सेवा पर कम से कम 5 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया है. हालांकि वैट के दायरे से कई बड़े उत्पाद और सेवाओं को दूर भी रखा जा सकता है. इनमें रियल एस्टेट, मेडिकल सर्विस, हवाई यात्रा और शिक्षा शामिल हैं. हालांकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वैट लगाने की तैयारी की जा रही है. वहीं स्कूली शिक्षा में स्कूल यूनीफॉर्म, किताबें, स्कूल बस फीस और लंच जैसी सेवाओं को टैक्स के दायरे में रखा जाएगा.

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गौतलब है कि खाड़ी देशों में बढ़ते राजस्व घाटे के असर को कम करने के लिए 2015 में गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल में सभी सदस्य देशों ने टैक्स फ्री तमगा हटाते हुए उत्पाद और सेवाओं पर टैक्स लगाने पर सहमति जताई थी. इसके बाद अब 2018 में साऊदी और यूएई इस दिशा में पहला कदम बढ़ा रहे हैं. माना जा रहा है कि इसके बाद अन्य खाड़ी देश भी इसी फॉर्मूले पर अपने-अपने देश में वैट लगाने की पहल करेंगे.

भारत पर असर: भारतीय विदेशों से भेजते हैं सर्वाधिक पैसा

विश्व बैंक की अप्रैल 2015 में आई रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत ने कुल 70 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया है. इस राशि में से अधिकांश 37 अरब डॉलर का रेमिटेंस खाड़ी देशों से प्राप्त किया गया है. खाड़ी देशों में भारतीय नागरिक लगभग 13 अरब डॉलर भेज रहे हैं तो वहीं साउदी अरब से लगभग 11 बिलियन डॉलर भारत आ रहा है.

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खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय

मिली गैजेट के मुताबिक खाड़ी देशों की कुल जनसंख्या में लगभग 31 फीसदी भारतीय नागरिक हैं. कुवैत में कुल जनसंख्या में 21.5 फीसदी भारतीय हैं तो वहीं ओमान में लगभग 54 फीसदी भारतीय मागरिक हैं. सउदी अरब में कुल जनसंख्या में 25.5 फीसदी भारतीय हैं तो वहीं संयुक्त अरब अमीरात में 41 फीसदी भारतीय है.

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क्यों खाड़ी देशों में इतने भारतीय

विश्व बैंक के मुताबिक खाड़ी देशों में सर्वाधिक भारतीय रहने के पीछे यूरोप में कमजोर आर्थिक विकास दर, रूस की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में यूरो और रूबल की गिरती कीमतें अहम वजह है.

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