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मोदी सरकार के मंत्री ने खुद माना 'संकट' में है टेलीकॉम सेक्टर

केन्द्रीय टेलीकॉम मंत्री मनोज सिन्हा ने गुरुवार को माना कि देश में टेलीकॉम सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है. मनोज सिन्हा के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर में वित्तीय संकट गहरा रहा है. इस संकट को समझने के लिए केन्द्र सरकार ने हाल में इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट पर केन्द्र सरकार कानूनी सलाह ले रही है

सेक्टर में वित्तीय समस्या गंभीर हो सकती है सेक्टर में वित्तीय समस्या गंभीर हो सकती है
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

केन्द्रीय टेलीकॉम मंत्री मनोज सिन्हा ने गुरुवार को माना कि देश में टेलीकॉम सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है. मनोज सिन्हा के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर में वित्तीय संकट गहरा रहा है. इस संकट को समझने के लिए केन्द्र सरकार ने हाल में इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट पर केन्द्र सरकार कानूनी सलाह ले रही है

गौरतलब है कि देश के सनराइज टेलीकॉम सेक्टर में लंबे समय से उथल-पुथल का दौर चल रहा है. केन्द्रीय मंत्री अब इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि सेक्टर में वित्तीय समस्या गंभीर हो सकती है.

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हाल ही में टेलीकॉम सेक्टर की स्थित पर आरकॉम प्रमुख अनिल अंबानी ने भी सवाल उठाया था. अनिल अंबानी के मुताबिक देश का टेलीकॉम सेक्टर (वायरलेस अथवा मोबिलिटी सेक्टर) आईसीसीयू में एडमिट मरीज की तरह है. अंबानी के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर को संभालने का प्रयास जल्द नहीं किया गया तो इसका गंभीर असर केन्द्र सरकार के राजस्व पर पड़ेगा. वहीं इस सेक्टर में देश के बैंकों का भी बड़ा कर्ज होने की वजह से बैंकों की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है.

केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने बताया कि टेलीकॉम सेक्टर 9 फीसदी योगदान के साथ एनपीए जनरेट करने वाले बड़े सेक्टर में शामिल है. देश के बैंकों का लगभग 6 लाख करोड़ रुपये टेलीकॉम सेक्टर में लगा है, जिसके चलते बैंकों पर लगातार खतरा मंडरा रहा है.

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गौरतलब है कि हाल ही में टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो की एंट्री हुई है. रिलायंस जियो ने बेहद सस्ती दरों पर मोबाइल और इंटरनेट सेवा लॉन्च कर सेक्टर के दिग्गज खिलाडियों के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर दी है. इस चुनौती पर अनिल अंबनी ने कहा कि देश के टेलीकॉम सेक्टर में मोनोपोली बनने की संभावना है. अनिल अंबानी ने कहा कि बीते कुछ साल में जहां मार्केट में एक दर्जन से अधिक सर्विस प्रोवाइडर थे, आज महज 6 सर्विस प्रोवाइडर बचे हैं. लिहाजा आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में संभव है कि सिर्फ एक या दो सर्विस प्रोवाइडर बचें, लिहाजा सरकार को जल्द से जल्द टेलिकॉम सेक्टर को संभालने की पहल की जाए.

गौरतलब है कि खुद अनिल अंबनी की टेलीकॉम कंपनी आरकॉम पर बैंकों का लगभग 48,000 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं सेक्टर में कुल 6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं सेक्टर में विस्तार और सेवाओं में सुधार के लिए लगातार बड़े कर्ज की मांग मौजूद रहती है. इसके बावजूद केन्द्रीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों को अप्रैल 2017 से हिदायत दे चुका है कि टेलीकॉम सेक्टर में कर्ज एक परेशानी बन सकता है लिहाजा बैंक कंपनियों को नया कर्ज सोच-समझकर ही दें.

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