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ट्रेड वॉर: अमेरिका से नहीं हुआ समझौता, फिर भी चीन की बनी हुई है उम्मीद

वॉशिंगटन में व्यापार वार्ता में चीन का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख दूत का कहना है कि अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर में किसी समझौते पर पहुंचने में विफलता ‘एक मामूली झटका’ है. चीन को अब भी मतभेदों को सुलझा लेने की उम्मीद है.

अमेरिका और चीन में नहीं हो पाया समझौता अमेरिका और चीन में नहीं हो पाया समझौता
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2019,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

अमेरिका-चीन के बीच व्यापार में गतिरोध को दूर करने के लिए वाशिंगटन में दो दिन तक चलने वाली वार्ता बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई है. लेकिन चीन की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है.

वॉशिंगटन में व्यापार वार्ता में चीन का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख दूत का कहना है कि अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर में किसी समझौते पर पहुंचने में विफलता ‘एक मामूली झटका’ है तथा चीन से अमेरिका में होने वाले सामान पर आयात शुल्क बढ़ा दिए जाने के बावजूद वार्ता आगे जारी रहेगी.

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रह गए कुछ मतभेद

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, वॉशिंगटन से शुक्रवार को बीजिंग के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में, चीन के उप प्रधानमंत्री लियू ही ने कहा कि वह सतर्कता के साथ आशावादी थे, लेकिन किसी समझौते पर पहुंचने के लिए अमेरिका के ट्रंप प्रशासन को अरबों डॉलर के चीनी माल पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क (टैरिफ) को समाप्त करने पर सहमत होने की जरूरत है. चीन के सरकारी सीसीटीवी में कही गई टिप्पणियों पर लियू ने कहा कि जो मतभेद रह गये हैं वह काफी संवेदनशील हैं. 'ये सिद्धांतों से जुड़े हैं और हम सिद्धांतों के मामले में कोई रियायत नहीं देते हैं.' फिर भी, उन्होंने कहा कि वह नहीं मानते कि वार्ता टूट गई है.

हांगकांग के फीनिक्स टीवी ने उन्हें यह कहते हुये दिखाया, ‘इसके विपरीत, मुझे लगता है कि यह दो देशों के बीच की बातचीत में एक मामूली झटका है, जो कि लाजिमी है.' लियू ने कहा कि, ‘चीन की राय है कि टैरिफ ही व्यापार को लेकर हो रहे विवाद का शुरुआती बिंदु हैं और कोई समझौता होने की स्थिति में इसे पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए.'

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गौरतलब है कि अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को चीन से आयात होने वाले अरबों डॉलर के सामान पर टैरिफ को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया. अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने कहा कि अमेरिका 300 अरब डॉलर के ऐसे चीनी उत्पादों को कर के दायरे में लेने के लिए शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रहा है जो आयात कर के दायरे में नहीं आए हैं.'  

ये टैरिफ 5 हज़ार से ज़्यादा वस्तुओं पर लगाया जाएगा. दोनों देशों के बीच टकराव का ये सिलसिला पिछले साल जुलाई में शुरू हुआ था जब अमेरिका ने पहली बार चीनी उत्पादों पर नए टैरिफ लगाए थे.

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो करीब-करीब चीन से आयात होने वाले प्रत्येक सामान पर शुल्क लगाने की तैयारी है. लियू ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच इस बात को लेकर असहमति है कि अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने में मदद के लिये चीन कितना सामान अमेरिका से खरीदने की प्रतिबद्धता जताता है.

उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और हम आसानी से अपना विचार नहीं बदल सकते.' उन्होंने कहा, 'हमारे बीच कुछ दस्तावेजों में कुछ शब्दों को लेकर मतभेद था और हमें इन मतभेदों को सुलझा लेने की उम्मीद है. इसलिए, हम इस मामले में बढ़-चढ़कर प्रतिक्रिया देने को अनावश्यक मानते हैं.

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