
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और उत्तर भारत के कई इलाकों में कोहरे की चादर फैल गई है. इसकी वजह से ट्रेनों के लेट होने का सिलसिला लगातार जारी है. घने कोहरे की वजह से जहां दर्जनों ट्रेनें लेट चल रही हैं. वहीं, कई ट्रेनों को रद्द भी कर दिया गया है. हालांकि ट्रेनों की इस देरी के लिए कोहरा उतना जिम्मेदार नहीं है, जितना की भारतीय रेलवे की सुस्ती.
कई तकनीक हैं, पर तैयार नहीं
आधुनिक एलईडी लाइट जहां दृश्यता बढ़ाने में मदद करती है. वहीं, टीपीडब्लूएस सिग्नलिंग व्यवस्था को बेहतर करने का काम करता है. ये व्यवस्था देश में आ चुकी है, लेकिन अभी भी ये टेस्ट मोड में हैं. रेलवे की नाकाफी तैयारी होने की वजह से आम आदमी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोहरे की वजह से ड्राइवर को साफ नहीं दिखता है. ऐसे में वह रफ्तार घटा देता है, ताकि किसी तरह की दुर्घटना न हो.
तीन साल से हो रहा तकनीक का परीक्षण
भारत में कोहरे से निपटने के लिए एंटी-कॉलिजन सिस्टम (टी-सीएएस) तैयार किया जा चुका है, लेकिन इसे अभी भी बड़े स्तर पर लागू नहीं किया गया है. भारतीय रेलवे पिछले तीन साल से इसके परीक्षण में ही जुटी हुई है. इसी साल मई में भारतीय रेलवे ने कहा कि वह फ्रांस, जर्मनी समेत अन्य देशों से तकनीक खरीदकर रेलवे को सुरक्षित बनाएगी, लेकिन ये डील्स भी जमीन पर अभी कहीं दिख नहीं रही हैं.
क्या है टी-सीएएस प्रणाली
देश में ही टीसीएस की प्रणाली तैयार की गई है. यह प्रणाली ड्राइवर को अपने कैबिन में बैठे ही कैब सिग्नलिंग सिस्टम से सिग्नल देखने की सुविधा देती है. इससे ड्राइवर को ट्रेन की रफ्तार हालात के अनुसार तय करने में मदद मिलती है.
परीक्षण से आगे नहीं बढ़ रहीं तकनीक
प्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम (टीपीडब्लूएस), ट्रेन कोलिजन एवॉयडेंस सिस्टम (टीसीएएस) के अलावा टैरिन इमेजिंग फॉर डीजल ड्राइवर्स (ट्राई-एनईटीआरए) सिस्टम के साथ ही आधुनिक एलईडी फॉग लाइट्स लगाने की तैयारियां लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन इनका अभी परीक्षण ही चल रहा है.
टीपीडब्लूएस प्रणाली अभी 35 इंजनो में ही
टीपीडब्लूएस प्रणाली फिलहाल केवल 35 इंजनों में लगी है. यह तकनीक ड्राइवर को घने कोहरे और भारी बारिश में भी सिग्नल देखने में मदद करती है. इसे चेन्नई और कोलकाता मेट्रो के उपनगरीय नेटवर्क में लगाया गया है.
पिछले साल लॉन्च हो चुकी है टीपीडब्लूएस
ट्रेन प्रोटेक्शन एंड वॉर्निंग सिस्टम (टीपीडब्लूएस) को भारतीय रेलवे दिसंबर, 2016 में लॉन्च कर चुकी है. एक साल पूरा होने को है, लेकिन उसके बाद भी इस प्रणाली का बड़े स्तर पर यूज शुरू नहीं किया जा सका है. भारतीय रेलवे ने 2014 में यूरोपियन कंपनी थैल्स को इस प्रणाली को तैयार करने का काम सौंपा था. लेकिन इस व्यवस्था के तैयार होने के एक साल बाद भी कोहरे से निपटने के सुरक्षा इंतजाम पुख्ता नहीं हैं.
कोहरे की वजह से घट जाती है ट्रेन की रफ्तार
जब भी घना कोहरा छाता है, तो दृश्यता काफी कम हो जाती है. इसकी वजह से ड्राइवर रफ्तार घटाकर 15 किलोमीटर प्रति घंटा तक ले आते हैं. इससे ट्रेनें 2 घंटे से लेकर 22 घंटों तक लेट हो जाती हैं. ऐसा नहीं है कि कोहरे की वजह से पहली बार ट्रेनें लेट हो रही हैं. यह हर साल का सिलसिला है. हर साल कई ट्रेनें घने कोहरे की वजह से लेट हो जाती हैं, लेकिन उसके बाद भी रेलवे की तरफ से कोई बड़ा कदम इससे निपटने के लिए अभी तक नहीं उठाया गया है.
भारतीय रेलवे की तकनीक से पहले आया कोहरा
हर साल वैसे तो कोहरा दिसंबर और जनवरी में अपना ज्यादा असर दिखाना शुरू करता है, लेकिन इस साल कोहरे ने नवंबर से ही अपना दम दिखाना शुरू कर दिया है. इसकी वजह से मौजूदा समय से ही आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.