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UN ने घटाया 2017 में भारत की विकास दर का अनुमान, बैंकों के फंसे लोन बने सिरदर्द

हालांकि यूएन के आंकड़ों में भारत के लिए अच्छी खबर भी है. संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि 2018 के वित्तीय वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर बढ़कर 7.9 फीसदी हो जाएगी.

बैंकों के फंसे लोन बने अर्थव्यवस्था के लिए फांस बैंकों के फंसे लोन बने अर्थव्यवस्था के लिए फांस
BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2017,
  • अपडेटेड 10:16 PM IST

तेज आर्थिक तरक्की के मोदी सरकार के दावों को झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा वित्तीय साल में भारत की जीडीपी विकास दर का अनुमान घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है. इस साल जनवरी में यूएन के अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि इस साल भारत की विकास दर 7.7 फीसदी रहेगी.

अगले साल बढ़ेगी विकास दर
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि इस साल भारत की अनुमानित जीडीपी विकास दर 7.2 फीसदी रहेगी. एशिया विकास बैंक के मुताबिक ये आंकड़ा 7.4 फीसदी रहने की उम्मीद है. हालांकि यूएन के आंकड़ों में भारत के लिए अच्छी खबर भी है. संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि 2018 के वित्तीय वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर बढ़कर 7.9 फीसदी हो जाएगी.

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विकास दर धीमी होने की वजहें
संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि देश के बैंकिंग क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते निकट भविष्य में निवेश में शायद ज्यादा मजबूती नहीं आए. दुनिया की अर्थव्यवस्था पर जारी यूएन की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बैंकिंग क्षेत्र की बैलेंस शीट दबाव में है. इसका खराब असर देश में निवेश पर पड़ेगा. इसके अलावा नोटबंदी के चलते भी इस साल की विकास दर पर असर पड़ा है.

बैंकों का कर्ज बना सिरदर्द
बैंकों का फंसा कर्ज मोदी सरकार के अर्थशास्त्रियों के लिए चिंता की बड़ी वजह बन गया है. यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी से पैदा हुई अस्थायी मुश्किलों के बावजूद मजबूत मुद्रा नीति और घरेलू सुधार भारत के आर्थिक हालात को मजबूत बनाते हैं. लेकिन आर्थिक विकास को पटरी पर बनाए रखने के लिए सरकार को बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्र की बैलेंस शीट सुधारनी होगी.

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