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इनकम टैक्स रिटर्न भरना है तो ऐसे समझें अपनी सैलरी स्लिप

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने का समय आ गया है. एक साल में इनकम टैक्स कानून में कई बदलाव किए जा चुके हैं. फिर बजट 2017 में कुछ परिवर्तन हुए. कुछ बदलावों से आपको टैक्स में राहत मिली है कुछ बदलाव आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं.

टैक्स रिटर्न भरने के लिए यूं समझें सैलरी स्लिप को टैक्स रिटर्न भरने के लिए यूं समझें सैलरी स्लिप को
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने का समय आ गया है. एक साल में इनकम टैक्स कानून में कई बदलाव किए जा चुके हैं. फिर बजट 2017 में कुछ परिवर्तन हुए. कुछ बदलावों से आपको टैक्स में राहत मिली है कुछ बदलाव आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं.

आपकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से ऊपर है तो टैक्स विभाग आपका इंतजार कर रहा है. आप इनकम टैक्स पेयर बनने जा रहे हैं. आपको जरूरत है अपनी ग्रॉस टोटल इनकम को जोड़ने का.

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आपकी ग्रॉस टोटल इनकम
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आपको अपनी वार्षिक आय दर्ज करानी होगी. आप की वार्षिक आय आपकी सैलरी, संपत्ति से आय और किसी अन्य संसाधन से हुई किसी आय का योग है.

सिर्फ सैलरी से इनकम
आपकी ग्रॉस टोटल इनकम में सिर्फ सैलरी शामिल है तो इनकम टैक्स भरना बेहद आसान है. जरूरत है आपको अपनी सैलरी स्लिप को समझने की.

समझें सैलरी स्लिप को
आपकी सैलरी स्लिप में कंपनी अथवा सरकार की तरफ से प्रति माह मिले पैसा का लेखा जोखा रहता है. सैलरी स्लिप में कई हेड्स के तहत आपको मिले पैसों को ब्यौरा शामिल है. जैसे बेसिक सैलरी, एचआरए, डियरनेस अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, कन्वेएन्स अलाउंस इत्यादि.

समझें सैलरी स्लिप में डिडक्शन
आपकी सैलरी स्लिप में आपको मिले पैसों के साथ-साथ हुए डिडक्शन्स भी दर्ज रहते हैं. सैलरी में यह कटौती सैलरी देने वाले को करना जरूरी रहता है. आपकी सैलरी में हुए कुछ डिडक्शन्स आपको भविष्य में फायदा देने के लिए हैं तो कुछ नियमों के चलते जरूरी हैं. इन डिडक्शन्स को जोड़कर रखें.

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रिटर्न भरते समय इस डिडक्शन से आपको कई तरह की राहत मिल सकती है.

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