
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे का आज दूसरा दिन है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच दिल्ली के हैदराबाद हाउस में वार्ता हो रही है. सबकी नजरें इस बात पर हैं कि इस दौरान क्या प्रमुख कारोबारी मसलों पर बात होती है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत आने से पहले ही यह साफ कर दिया था कि भारत के साथ कोई बड़ी ट्रेड डील नहीं होगी. लेकिन भारत के साथ अमेरिका की कई ऐसी उलझनें हैं, जिन पर वह बात करना चाहेंगे. उनके प्रतिनिधिमंडल में इस बार अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) नहीं हैं.
रिश्तों में उतार-चढ़ाव
भारत सरकार के पिछले कुछ महीनों के निर्णयों से राष्ट्रपति ट्रंप परेशान दिखे तो अमेरिका ने भी भारत को कई झटके दिए हैं. ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि अमेरिका के साथ भारत ठीक व्यवहार नहीं कर रहा.
अमेरिका ने भारत को तरजीही व्यापार प्रणाली (GSP) से बाहर कर दिया. इसके बाद भारत ने अमेरिका के अखरोट आयात पर भारी टैरिफ लगा दिए. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारत की इस घोषणा से अमेरिका से आने वाले अखरोट के 35 कन्साइनमेंट बीच में फंस गए.
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अपने-अपने हित
भारत अभी शायद यही चाहता है कि एक सीमित ट्रेड डील हो जाए, लेकिन अमेरिका का हित इसमें है कि ज्यादा महत्वाकांक्षी ट्रेड डील हो. भारत की सबसे बड़ी मांग यही है कि उसे जीएसपी में फिर से अमेरिका शामिल करे.
डेयरी पर फांस
अमेरिकी पक्ष यह मांग कर रहा है कि उसके फार्मा और डेयरी उत्पादों के लिए भारत में आसान बाजार उपलब्ध कराए, जिसे भारत अभी मानने को तैयार नहीं है.
अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए बाजार खोलना भारत के लिए आसान नहीं है, क्योंकि इससे भारत के करोड़ों किसानों का हित प्रभावित होगा. इसके अलावा अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत उसके साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करे, लेकिन भारत इस मामले में किसी जल्दबाजी में नहीं है.
हालांकि कुछ छोटे कारोबारी समझौते इस बार ही हो सकते हैं, जिन पर किसी तरह का विवाद नहीं है. इंडियन ऑयल और अमेरिकी कंपनी एक्सन के बीच एलएनजी पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए समझौता हो सकता है. इसी तरह मेंटल हेल्थ में क्षमता निर्माण और गठजोड़ के लिए इंडस्ट्री समझौते, अमेरिका में उच्च स्तरीय दवा आपूर्ति के लिए समझौता हो सकता है.
अमेरिका ने दिया है भारत को झटका
इस महीने की शुरुआत में ही अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने विकासशील देशों की सूची से भारत को बाहर कर दिया है. इसका मतलब यह है कि भारत अब उन खास देशों में नहीं रहेगा, जिनके निर्यात को इस जांच से छूट मिलती है कि वे अनुचित सब्सिडी वाले निर्यात से अमेरिकी उद्योग को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहे. इसे काउंटरवलिंग ड्यूटी (CVD) जांच से राहत कहा जाता है. अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह लिस्ट 1998 में बन गई थी और अब अप्रासंगिक हो चुकी है.
क्या है जीएसपी का मसला
भारत को विकासशील देशों की सूची से बाहर करने देने से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अमेरिका के तरजीही फायदों वाले जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंस (GSP) में फिर से शामिल होने की भारत की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया है. कई तरह के फायदों वाले इस सूची में सिर्फ विकासशील देशों को रखा जाता है. यानी अमेरिका ने बड़ी चालाकी से भारत के इसमें शामिल होने के रास्ते ही बंद कर दिए हैं.
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पिछले साल जब अमेरिका ने इस सूची से भारत को बाहर किया था तो भारत ने यह मजबूत तर्क दिया था कि जीएसपी के फायदे सभी विकासशील देशों को बिना किसी लेनदेन की शर्त के साथ मिलने चाहिए और इनका इस्तेमाल अमेरिका अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं कर सकता.