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माल्या-नीरव सरीखे डिफॉल्टर्स के लिए देश छोड़ना होगा मुश्क‍िल? सरकार कर रही ये तैयारी

बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों के लिए देश छोड़ना अब मुश्क‍िल हो सकता है. केंद्र सरकार ड‍िफॉल्टर प्रमोटरों को रोकने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव करने पर विचार कर रही है.

नीरव मोदी (FILE PHOTO) नीरव मोदी (FILE PHOTO)
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों के लिए देश छोड़ना अब मुश्क‍िल हो सकता है. केंद्र सरकार ड‍िफॉल्टर प्रमोटरों को रोकने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव करने पर विचार कर रही है.

इसके साथ ही इन पर शि‍कंजा कसने के लिए अन्य नये विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है. सरकार ने इस बाबत वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया है.

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सूत्रों के मुताबिक सरकार इसके जरिये नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों पर लगाम लगाना चाहती है, जो दोहरी नागरिकता रखते हैं. सूत्रों के अनुसार इस हेतु बने पैनल की पहली बैठक में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था को मजबूत और सुव्यवस्थित करने पर बात हुई ताकि आर्थिक अपराधी देश छोड़ कर नहीं भाग सकें.

इस उच्चस्तरीय पैनल के अन्य सदस्यों में प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, खुफिया ब्यूरो और भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसके अलावा गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस समिति का हिस्सा हैं.

मौजूदा व्यवस्था में डिफॉल्टर को अपराधी घोषित करने में काफी समय लगता है. सूत्रों ने बताया कि समिति इन ड‍िफॉल्टर्स के ख‍िलाफ त्वरित कार्रवाई की खातिर प्रावधान तैयार करने पर काम कर रही है. समिति को ऐसे डिफॉल्टर्स का भारतीय नागरिकता छोड़ने समेत घरेलू कानून में बदलाव को लेकर कई सुझाव प्राप्त हुए हैं.

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इसके अलावा सरकार फ्यूजिटीव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल, 2018 लेकर आई है. जो सरकार को आर्थिक अपराधियों की संपत्त‍ि जब्त करने और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की इजाजत देता है.

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