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दबाव में विजय माल्या की गुहार, बैंकों के कर्ज चुकाने के लिए त्याग देंगे शानो-शौकत

सरकारी बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपये लेकर फरार शराब कारोबारी विजय माल्या के तेवर नरम पड़ने लगे हैं. विजय माल्या ने भारतीय बैंकों को संतुष्ट करने के लिए शानो शौकत की जिंदगी छोड़ने की पेशकश की है.

विजय माल्या पर शिकंजा (Photo: File) विजय माल्या पर शिकंजा (Photo: File)
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

सरकारी बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपये लेकर फरार शराब कारोबारी विजय माल्या के तेवर नरम पड़ने लगे हैं. विजय माल्या ने भारतीय बैंकों को संतुष्ट करने के लिए शानो शौकत की जिंदगी छोड़ने की पेशकश की है. ब्रिटेन की एक अदालत की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है.

दरअसल भारतीय बैंकों को माल्या से करीब 1.145 अरब डॉलर पाउंड वसूलने हैं और बैंक इसमें से कुछ राशि निकालने का प्रयास कर रहे हैं, भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को अभी करीब 18,325.31 पाउंड (16,52,131 रुपये) की अधिकतम राशि एक हफ्ते में खर्च करने अनुमति है. इसी हफ्ते ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान माल्या ने इस राशि को घटाकर 29,500 पाउंड (26,59,639 रुपये) मासिक करने की पेशकश की.

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हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले 13 बैंकों के गठजोड़ ने इस पेशकश पर सहमति नहीं दी. भारतीय बैंक लंदन में विजय माल्या के ICICI बैंक में जमा 2,60,000 पाउंड (2,34,41,807 रुपये) की राशि चाहते हैं. बैंकों के साथ कानूनी लड़ाई में माल्या का प्रतिनिधित्व कर रहे डीडब्ल्यूएफ लॉ एलएलपी ने कहा कि किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख अदालत निर्देशित खर्च की किसी भी सीमा को मानने को तैयार हैं.

दरअसल यह आदेश भारतीय कर्ज वसूली न्यायाधिकरण ने दिया था. अब विजय माल्या इसी आदेश के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. ब्रिटेन अदालत की क्वींस बेंच डिवीजन में मास्टर डेविड कुक द्वारा मामले की सुनवाई के दौरान माल्या की कानूनी टीम ने इस अंतरिम आदेश को खारिज किए जाने का आग्रह किया.

इस मामले में बाद की तारीख में फैसला आने की संभावना है. भारतीय बैंकों की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ रही टीएलटी एलएलपी के एक प्रवक्ता ने कहा, 'यह सुनवाई जनवरी में बैंकों की ओर से हासिल किए गए एक तीसरे पक्ष के अंतरिम ऋण आदेश से जुड़ी है.

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इससे पहले पिछले महीने विजय माल्या ओर से बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि नये भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून के तहत उसकी संपत्तियों को जब्त करना क्रूर कदम है और इससे कर्जदाताओं को कोई फायदा नहीं होगा.

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