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थोक महंगाई मार्च में घटकर 5.7 फीसदी पहुंची, फल और सब्जी हुई महंगी

विनिर्माण वस्तुओं के दाम में नरमी से थोक कीमत सूचकांक आधारित महंगाई मार्च में घटकर 5.7 फीसदी पर आ गयी. हालांकि इस दौरान खाद्य वस्तुएं महंगी हुई. थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई इस साल फरवरी में 6.55 फीसदी थी.

कम हुई थोक महंगाई, बढ़ गए फल और सब्जी के दाम कम हुई थोक महंगाई, बढ़ गए फल और सब्जी के दाम
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:19 PM IST

विनिर्माण वस्तुओं के दाम में नरमी से थोक कीमत सूचकांक आधारित महंगाई मार्च में घटकर 5.7 फीसदी पर आ गयी. हालांकि इस दौरान खाद्य वस्तुएं महंगी हुई. थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई इस साल फरवरी में 6.55 फीसदी थी.

पिछले साल मार्च में थोक महंगाई में 0.45 फीसदी की गिरावट आयी थी. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की कीमत में मार्च में 3.12 फीसदी की तीव्र वृद्धि हुई जबकि इससे पूर्व माह में इसमें 2.69 फीसदी की वृद्धि हुई थी. इसका कारण प्रमुख सब्जियों के दाम में उछाल है. सब्जियों की महंगाई दर 5.70 फीसदी रही.

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फलों के मामले में महंगाई 7.62 फीसदी रही. वहीं अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर 3.12 फीसदी रही. ईंधन मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में घटकर 18.6 फीसदी रही जो फरवरी में 21.02 फीसदी थी. विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई में कुछ नरमी दिखी. मार्च में इसकी महंगाई 2.99 फीसदी रही जो इससे पूर्व महीने में 3.66 फीसदी थी. सरकार ने जनवरी की महंगाई को संशोधित कर 5.53 फीसदी कर दिया है. अस्थायी अनुमान में इसके 5.25 प्रतिशत रहने की बात कही गयी थी.

इस महीने की शुरूआत में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के उपर जाने का जोखिम का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दर को लगातार तीसरी द्विमासिक समीक्षा में 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था. हालांकि केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो 0.25 फीसदी कम कर 6 फीसदी कर दिया.

आरबीआई ने 2017-18 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई 4.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई मार्च में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 3.81 फीसदी पर पहुंच गयी. रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीति तय करता है.

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इससे पहले पिछले हफ्ते भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ की उम्मीद को तगड़ा झटका लगा था. फरवरी में आईआईपी ग्रोथ की रफ्तार उम्मीद से बेहद खराब दर्ज हुई है. जहां अर्थशाष्त्रियों को उम्मीद थी कि फरवरी में आईआईपी ग्रोथ 1.8 फीसदी रह सकती है वहीं पिछले हफ्ते आए आंकड़ों में यह घटकर -1.2 फीसदी रही. जनवरी के दौरान यह आंकड़े 2.7 फीसदी थे.

साल दर साल के आधार पर अप्रैल 2016 और फरवरी 2017 के दौरान आईआईपी ग्रोथ 2.6 फीसदी से घटकर 0.4 फीसदी रही है. महीने दर महीने के आधार पर फरवरी में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 5.3 फीसदी से घटकर 3.3 फीसदी रही. वहीं फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 2.3 फीसदी से घटकर -2 फीसदी हो गई. पॉवर सेक्टर की ग्रोथ 3.9 फीसदी से घटकर मात्र 0.3 फीसदी रह गई.

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