
बीते गुरुवार को जब खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी हुए तो ये आशंका जाहिर की जा रही थी कि थोक महंगाई में भी तेजी आएगी. हालांकि, इसके उलट थोक महंगाई में मामूली राहत मिली है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में थोक महंगाई दर नकारात्मक 0.58 फीसदी पर रही, जो जून में नकारात्मक 1.81 फीसदी थी. वहीं पिछले साल यानी जुलाई 2019 में यह 1.17 फीसदी थी.
क्या महंगा-क्या सस्ता
हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई. खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई के दौरान 4.08 प्रतिशत थी. यह आंकड़ा जून में 2.04 प्रतिशत था. हालांकि, जुलाई में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति घटकर 9.84 प्रतिशत रह गई, जो इससे पिछले महीने में 13.60 प्रतिशत थी.
खुदरा महंगाई में हुई है बढ़ोतरी
इससे पहले गुरुवार को खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी हुए. आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.93 प्रतिशत हो गई. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से महंगाई दर बढ़ी है. इससे पहले जून महीने में ये आंकड़े 6.23 फीसदी थे. यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर रही है.
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है. इसी आधार पर रेपो रेट में में कटौती या बढ़ोतरी के फैसले होते हैं.
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रेपो रेट कटौती का फायदा लोन की ब्याज दरों पर मिलता है. लोन की ब्याज दरें कम होती हैं तो डिमांड बढ़ने की उम्मीद की जाती है.