
टाटा ग्रुप ने 24 अक्टूबर को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. करीब आठ लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप वाले इस ग्रुप के चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटाने के पीछे कई कारण रहे.
पहली वजहः ग्रुप पर पड़ रहा था असर टाटा ग्रुप के ऑटोमोबाइल से लेकर रिटेल तक और पावर प्लान्ट से सॉफ्टवेयर तक, करीब 100 बिजनेस हैं. इनमें से कई कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही हैं. इस कारण मिस्त्री को हटाने पर विचार हुआ. 2016 में ग्रुप की 27 लिस्टेड कंपनियों में से नौ कंपनियां नुकसान में चल रही हैं. सात कंपनियों की कमाई में भी कमी आई है. 2014-15 में टाटा ग्रुप का टर्नओवर 108 अरब डॉलर था जो 2015-16 में घटकर 103 अरब डॉलर रह गया.
दूसरी वजहः अपने हिसाब से कंपनियों पर फोकस टाटा सन्स अपने ग्रुप की नॉन-प्रॉफिट बिजनेस वाली कंपनियों से ध्यान हटाने की मिस्त्री की सोच से नाखुश थी. इसका एक उदाहरण यूरोप में टाटा स्टील का बिजनेस है. रतन टाटा को लगता था कि साइरस का पूरा फोकस टाटा कंसल्टेंसी सर्विस यानी टीसीएस पर है, जबकि ये कंपनी पहले ही प्रॉफिट में है और सबसे ज्यादा मजबूत है. मिस्त्री परंपरागत कारोबार से ध्यान हटाकर 'कैश काउज' पर ही फोकस कर रहे थे. ये बोर्ड को नागवार गुजरा.
तीसरा कारणः शेयरहोल्डर्स से खराब व्यवहार टाटा मोटर्स के शेयरधारकों ने अगस्त 2016 में शिकायत की थी कि उन्हें प्रति शेयर सिर्फ 20 पैसे डिविडेंड दिया गया. तब मिस्त्री ने इस कदम को सही ठहराया था. उन्होंने कहा, आप सभी से जुटाई पूंजी नए प्रोडक्ट्स में लगा रहे हैं. इस लंबे सफर में कमजोर दिल वालों की जगह नहीं है.
चौथी वजहः फैसले लेने में देरी मिस्त्री समूह के विभिन्न कारोबार की लीडरशिप में जान फूंक नहीं पाए. 2014 में कार्ल स्लिम की मौत के बाद टाटा मोटर्स में सीईओ नियुक्त करने में देरी की. हालांकि, टीसीएस के लिए एन चंद्रशेखरन जैसा स्मार्ट लीडर खोजने में कामयाब रहे.
पांचवीं वजहः ग्रोथ की ठोस योजना नहीं साइरस मिस्त्री चाहते थे कि 2025 तक टाटा समूह मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया के टॉप-25 में जाए और समूह की पहुंच दुनिया की 25 फीसदी आबादी तक हो जाए. लेकिन वे इसके संकेत ही दे सके. विस्तृत प्लान पेश नहीं कर पाए.