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क्या क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला फूट रहा है, Bitcoin से Dogecoin तक क्यों हुई बेहाल?

Bitcoin, Ethereum और Dogecoin समेत सभी क्रिप्टो करेंसी में भारी गिरावट है. पिछले 8 महीने में क्रिप्टो मार्केट की वेल्यूएशन गिरकर एक तिहाई रह गई है. पिछले साल एक बिटकॉइन की कीमत करीब 47 लाख रुपये थी जो अब करीब 16 लाख ही रह गई है. आखिर क्रिप्टो का बुलबुला क्यों फूट रहा है?

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पंकज कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2022,
  • अपडेटेड 1:30 PM IST
  • मार्केट कैप एक ट्रिलियन डॉलर से कम हुआ
  • इथेरियम में 70 फीसदी की गिरावट
  • डॉजकॉइन में 61 फीसदी की गिरावट

दुनिया की सबसे मशहूर क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन की कीमत में इस साल 55 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है. साल की शुरुआत में एक बिटकॉइन की कीमत भारतीय रुपये में करीब 35 लाख रुपये थी. जो कि आज की तारीख में (23 जून) 16 लाख रुपये ही रह गई है. नवंबर 2021 में इसकी कीमत 47 लाख रुपये से भी ज्यादा थी. यानी सिर्फ 8 महीने में ही बिटकॉइन की कीमतें एक तिहाई रह गईं.

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सिर्फ बिटकॉइन ही नहीं, दुनिया की सभी प्रमुख क्रिप्टो करेंसी की कीमतों में भारी गिरावट आई है. एलन मस्क की पसंदीदा क्रिप्टो करेंसी डॉजकॉइन इस साल 61 फीसदी से ज्यादा गिरी है. इथेरियम की कीमतों में करीब 70 फीसदी की गिरावट है. Cardano में भी 65 फीसदी गिरावट है.

नवंबर 2021 में दुनियाभर में मौजूद सभी क्रिप्टो करेंसी का कुल मार्केट वैल्यूएशन करीब 2.9 ट्रिलियन डॉलर था, जो अब घटकर 1 ट्रिलियन डॉलर से भी कम रह गया है. क्रिप्टो मार्केट के कुल वैल्यूएशन में लगभग आधा वैल्यूएशन सिर्फ बिटकॉइन का है. आसान भाषा में समझें तो क्रिप्टो मार्केट को ड्राइव अकेले बिटकॉइन ही करता है.

अक्टूबर 2020 में जब संस्थागत निवेशकों ने बिटकॉइन (क्रिप्टो मार्केट) में निवेश करना शुरू किया, तब क्रिप्टो करेंसी के दाम रॉकेट की तरह ऊपर चढ़े. क्रिप्टो की बढ़ती कीमतों और रातों-रात अमीर होने के लालच में उन लोगों ने भी क्रिप्टो में पैसे लगाये जिन्हें क्रिप्टो की बेसिक समझ भी नहीं थी. लेकिन सवाल यह है कि आखिर पिछले डेढ़ साल में ऐसा क्या हुआ कि क्रिप्टो करेंसी की कीमतें अर्श से फर्श पर आ गईं.

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गिरता शेयर बाजार

शेयर बाजार का रुख ये बताता है कि अभी निवेश करने के लिए कैसा माहौल है. अगर शेयर बाजार चढ़ रहा है तो समझिये कि निवेशक पैसा लगा रहे हैं. उन्हें अर्थव्यवस्था के ग्रोथ करने या स्थिर रहने की उम्मीद है. शेयर बाजार जब गिरने लगे तो समझिये कि संस्थागत निवेशकों को लग रहा है कि अभी बाजार अस्थिर है और पैसा लगाना ठीक नहीं है, ऐसे में वो शेयर मार्केट से पैसा निकालकर सुरक्षित जगहों पर लगाते हैं.

यही क्रिप्टो के साथ भी होता है. क्रिप्टो मार्केट बहुत ज्यादा संवेदनशील और अस्थिर है, यानी इसमें उतार चढ़ाव बहुत ज्यादा होता है. इस साल अमेरिका का S&P इंडेक्स करीब 20 फीसदी से ज्यादा गिरा. S&P इंडेक्स उन 500 बड़ी कंपनियों का इंडेक्स है जो अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं.

सिर्फ अमेरिकी शेयर बाजार ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के शेयर बाजार इस साल गिरे. कहने का मतलब यह है कि संस्थागत निवेशकों को लगता है कि दुनियाभर में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अस्थिरता है, यानी पैसा रिस्क फंड में नहीं, सुरक्षित जगह पर लगना चाहिये. इसलिए निवेशक हर उस जगह से पैसा निकाल रहे हैं जहां उन्हें रिटर्न की गारंटी नहीं है. चाहें वो शेयर बाजार हो या फिर क्रिप्टो मार्केट.

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ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी

बढ़ती महंगाई को रोकने, अर्थव्यवस्था को सुधारने और आर्थिक मंदी का सामने करने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी पिछले दिनों ब्याज दर बढ़ाई. जब भी केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाते हैं तो ऐसा माना जाता है कि आर्थिक मंदी जैसे हालात बन रहे हैं, ऐसे में निवेशकों का भरोसा शेयर मार्केट या क्रिप्टो मार्केट पर कम हो जाता है और वो अपने शेयर या डिजिटल ऐसेट बेचकर बाहर निकलने लगते हैं.

Terra USD - Terra LUNA क्रैश

Terraform Labs की स्थापना साल 2018 में दक्षिण कोरिया के सियोल में हुई. टेराफॉर्म लैब्स ने टेरा ब्लॉकचेन पर दो कॉइन बनाये Terra(LUNA) और TerraUSD (UST). कंपनी की योजना Terra Blockchain पर स्टेबल कॉइन बनाने की थी. यानी एक TerraUSD की कीमत लगभग उतनी ही होगी जितनी एक डॉलर की होती है. क्रैश होने से पहले Luna-Terra एक स्टेबल कॉइन था. जैसे Tether (USDT) और USD Coin (USDC) है.

मई के पहले हफ्ते में Terraform Labs ने अचानक अपने ब्लॉकचेन पर ट्रेडिंग रोक दी. कंपनी ने ट्वीट कर सफाई दी कि इसे फिर से ठीक से बनाने के लिए यह जरूरी था. Terra के सभी कॉइन्स में भारी गिरावट आई और ये 95 फीसदी से भी ज्यादा गिरे. अप्रैल में जिस एक Terra Luna की कीमत 118 डॉलर थी, वो अब 0.000057 डॉलर है. Terra USD भी अब 0.0084 डॉलर का रह गया है.

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एक अनुमान के मुताबिक Luna-Terra के क्रैश होने से निवेशकों के करीब 200 बिलियन डॉलर डूब गये हैं. Terra के क्रैश होने से निवेशकों को मैसेज गया कि स्टेबलकॉइन भी स्टेबल नहीं हैं. निवेशकों ने दूसरी क्रिप्टो से भी पैसे निकाले. जिससे पूरे क्रिप्टो मार्केट पर एक दबाव बना और क्रिप्टो के भाव नीचे गिरे.

दुनियाभर में क्रिप्टो पर निगरानी

दुनियाभर की सरकारें अब क्रिप्टो पर कड़ी निगरानी रख रही हैं. क्रिप्टो मार्केट जिस तरह से केंद्रीय बैंकों के लिए चुनौती बनकर उभरा है, उसने सरकारों को चिंता में डाल दिया है. जनवरी 2022 में रूस के सेंट्रल बैंक ने क्रिप्टो के प्रयोग और माइनिंग पर रोक लगा दी. चीन पहले ही क्रिप्टो की माइनिंग और ट्रेडिंग पर रोक लगा चुका है. इसके अलावा मिस्र, इराक, कतर, ओमान, मोरेक्को, अल्जीरिया, ट्यूनेशिया और बांग्लादेश भी क्रिप्टो को बैन कर चुके हैं. भारत भी सभी प्राइवेट क्रिप्टो को बैन करने की तैयारी में है.

क्रिप्टो करेंसी क्या है?

क्रिप्टो करेंसी ऑनलाइन भुगतान का एक तरीका है जिसे वस्तु और सेवाओं के बदले दिया जाता है. आप इसे ठीक वैसे ही समझ सकते हैं जैसे आप किसी दुकानदार से एक किलो चीनी के बदले उसकी कीमत देते हैं वैसे ही ऑनलाइन वस्तुओं और सेवाओं के बदले क्रिप्टो करेंसी का भुगतान किया जाता है. कुछ कंपनियों ने अपनी क्रिप्टो करेंसी भी जारी की है. जिसे टोकन्स कहते हैं. इन टोकन्स का प्रयोग आमतौर पर कंपनी के ही गुड्स और सर्विसेस को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यानी उपभोक्ता उस कंपनी के टोकन्स खरीदता है और उस टोकन के जरिये वो कंपनी के दूसरे प्रोडक्ट खरीदता है.

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वास्तविक पैसे और क्रिप्टो करेंसी में शुरुआती फर्क यही हैं. हम और आप जिस पैसे को खर्च के लिए इस्तेमाल करते हैं उसे देश के केंद्रीय या रिजर्व बैंक जारी करते हैं. जबकि क्रिप्टो करेंसी कोई व्यक्ति या कंपनी जारी कर सकते हैं.

क्रिप्टो करेंसी एक तकनीक पर आधारित है जिसे ब्लॉकचेन कहते हैं. ब्लॉकचेन एक डिसेंट्रलाइज्ड तकनीक पर आधारित है. 

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड तकनीक रिसोर्स का एलोकेशन है. हॉर्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों मामलों में. आसान भाषा में समझें तो ये कहा जा सकता है कि किसी वस्तु या रिसोर्स का नियंत्रण किसी एक व्यक्ति, संस्था या सेंट्रल टीम के पास नहीं होता है बल्कि उसका विकेंद्रीकरण यानी डिसेंट्रलाइजेशन होता है. यानी क्रिप्टो करेंसी में जिस तकनीक ब्लॉकचेन का इस्तेमाल होता है, उससे उस क्रिप्टो करेंसी पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का नियंत्रण नहीं रहता, बल्कि डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी के जरिये उसे बहुत से कम्प्यूटर के जरिये अलग-अलग लोकेशन से मैनेज किया जाता है और ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड किये जाते हैं. यह तकनीक जितनी मजबूत होगी वो क्रिप्टो करेंसी उतनी ही सिक्योर होगी.

दुनिया में कितनी क्रिप्टो करेंसी हैं?

क्रिप्टो करेंसी पर बारीक नजर रखने वाली वेबसाइट कॉइनमार्केटकैप.कॉम के मुताबिक दुनियाभर में 10 हजार से ज्यादा क्रिप्टो करेंसी व्यापार के लिए उपलब्ध हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. जिस तरह से शेयर बाजार में लिस्ट होने से पहले कंपनियां आईपीओ लेकर आती हैं (इनिशियल पब्लिक ऑफर) वैसे ही क्रिप्टो करेंसी लॉन्च करने वाला व्यक्ति या कंपनी अपनी क्रिप्टो करेंसी लॉन्च करने से पहले इनिशियल कॉइन ऑफरिंग यानी आईसीओ लेकर आता है.

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 बेस्ट क्रिप्टो करेंसी कौन सी है?

कौन सी क्रिप्टो करेंसी बेस्ट है, यह बताने के सिर्फ दो आधार हो सकते हैं. पहला, वो कितनी मजबूत तकनीक पर आधारित है और दूसरा, उसका मार्केट साइज क्या है. फिलहाल मार्केट साइज के हिसाब से बिटकॉइन नंबर एक है, इथेरियम नंबर टू है और टीथर नंबर तीन है.


 

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