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अगर गलत तरीके से पैसा कमाना मकसद हो, तो फिर एक दिन फंसना तय होता है, चाहे गरीब हो या अमीर. ऐसे ही हमारे देश में भी कुछ लोग हैं, जो एक समय कामयाबी की बुलंदी पर थे. क्योंकि उस समय उनके पास सबकुछ था, दौलत थी, शोहरत थी... लेकिन देखते ही देखते सबकुछ बर्बाद हो गया. लालच के कारण धोखाधड़ी के रास्ते पर चल पड़े, जिसका एक दिन अंत होना तय था. इन 7 अरबपतियों के साथ भी ऐसा ही हुआ. कभी लोगों के आदर्श थे, लेकिन अब नाम बदनाम हैं. करोड़ों का कारोबार डूब चुका है, अर्श से फर्श पर पहुंच चुके हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
चंदा कोचर (Chanda Kochhar): आज से कुछ साल पहले चंदा कोचर ICICI बैंक की CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर हुआ करती थीं. इनपर आरोप है कि इन्होंने अपने पद का बेजा इस्तेमाल किया, जांच CBI तक पहुंच गईं. घूसखोरी मामले में चंदा कोचर की गिरफ्तार भी हो चुकी हैं, फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. चंदा कोचर पर 64 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है.
CBI के मुताबिक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर ने सिर्फ 11 लाख रुपये चुकाकर 5.3 करोड़ रुपये का फ्लैट खरीदा था. इनपर वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) की कंपनियों को लोन देने के बदले रिश्वत लेने का गंभीर आरोप है. लोन के बदले चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की नू पावर लिमिटेड में 64 करोड़ का निवेश किया गया. जांच एजेंसी ने दावा है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था.
वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot): वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत भी फर्जीवाडे़ के मामले में जेल जा चुके हैं. ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने लोन देने में वीडियोकॉन ग्रुप का फेवर किया था. जिसके बाद वीडियोकॉन ग्रुप ने चंदा कोचर के परिवार को दूसरे रास्ते से लाभ पहुंचाया. करीब 70 साल के वेणुगोपाल धूत की भी गिरफ्तारी ICICI बैंक फ्रॉड मामले हुई थी.
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार 2015 में धूत की संपत्ति करीब 1.19 अरब डॉलर थी. उस समय वे भारत के 61वें सबसे अमीर व्यक्ति थे. साल 2018 में वीडियोकॉन कंपनी खुद को दिवालियापन कार्यवाही के लिए NCLT में अर्जी दी. बता दें, कंपनी अभी भी 'वीडियोकॉन' के रूप में भारत में पहला रंगीन टीवी लॉन्च करने का दावा करती है. लेकिन देखते ही देखते वीडियोकॉन का साम्राज्य बिखर गया है. सीबीआई ने चंदा कोचर पर वीडियोकॉन समूह को लगभग 3 हजार करोड़ रुपये का ऋण देने में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया था.
मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह: एक समय रैनबैक्सी लेबोरेटरीज (Ranbaxy Laboratories) मशहूर कंपनी थी. ये केवल एक दशक पुरानी बात है. साल- 2015 में फोर्ब्स की लिस्ट में Ranbaxy के प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को भारत के धनकुबेरों की सूची में संयुक्त रूप से 35वें नंबर पर रखा था, तब उनकी संपत्ति 2.5 अरब डॉलर आंकी गई थी. अब ये दो कंगाल हो चुके हैं. दोनों फर्जीवाड़े के आरोप में जेल जा चुके हैं.
इन दोनों भाईयों की बर्बादी की कहानी साल 2008 में शुरू हुई, जब उन्होंने रैनबैक्सी में अपनी हिस्सेदारी जापान की कंपनी दाइची सांक्यो को 9,576 करोड़ रुपये में बेच डाली. इससे मिले पैसों को उन्होंने गलत तरीके से खर्च कर दिए. फिर कर्ज में डूबते गए और एक दिन रैनबैक्सी कंपनी भी बिक गई. इन दोनों भाईयों पर साल 2016 में कुल 13,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था. आज इनके कारोबार डूबने के साथ-साथ दोनों बदनाम भी हो चुके हैं.
विजय माल्या (Vijay Mallya): विजय माल्या को कौन नहीं जानता है? लग्जरी लाइफ जीने के लिए माल्या जाने जाते हैं. लेकिन विजय माल्या के नाम के साथ भगोड़ा भी जुड़ चुका है. क्योंकि देश में बैंकों को चूना लगाकार फरार है. देश के 17 बैंकों को करीब 9 हजार करोड़ रुपये ठगने का आरोप है. भारत में इनकी कई संपत्तियां नीलाम हो चुकी हैं. एक समय विजय माल्या के एयरलाइंस समेत कई बड़े बिजनेस थे. लेकिन अब बर्बाद हो चुका है. माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. भारत सरकार लगातार माल्या को वापस लाने की कोशिश में जुटी है.
मेहुल चोकसी (Mehul Choksi): अचानक साल 2018 में मेहुल चोकसी का नाम सुर्खिया में आने लगा. क्योंकि इसने भारतीय बैंकिंग सिस्टम को हिला दिया था. मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक को 14000 करोड़ रुपये चूना लगाकर फरार हो गया. करीब 6 साल पहले तक इनकी नेटवर्थ करीब 1150 करोड़ रुपये थी. लेकिन एक फर्जीवाड़े की वजह से सबकुछ बर्बाद हो गया. आज देश से भी फरार है. मेहुल चोकसी अपने भानजे नीरव मोदी के साथ 13,500 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले में आरोपी हैं. मेहुल चोकसी ने 1996 में गीतांजलि ग्रुप की स्थापना की थी. अभी भी तमाम शहरों मे गीतांजलि के स्टोर्स हैं. चोकसी को दिसंबर 2017 में एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता मिली थी. पीएनबी से धोखाधड़ी का ये मामला जनवरी 2018 में सामने आया.
नीरव मोदी (Nirav Modi): बहुचर्चित पीएनबी स्कैम (PNB SCAM) का मास्टरमाइंड नीरव मोदी (Nirav Modi) आज पाई-पाई का मोहताज हो गया है. नीरव मोदी की कहानी भी मेहुल चोकसी जैसी ही है. इन्हें भी 2018 से पहले तक ज्यादातर लोग अमीर के तौर पर नहीं जानते थे, लेकिन जब इनकी वजह से पंजाब नेशनल बैंक कंगाल हुआ था, तो देशभर ही इनकी फर्जीवाड़े की बात होने लगी. इनकी पहचान गुजरात के हीरा कारोबारी के तौर पर थी. महज 6 साल पहले तक जहां इनके पास कुल संपत्ति 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा थी, वहीं अब 30 हजार से ज्यादा के कर्जदार हो चुके हैं. नीरव मोदी फिलहाल लंदन पुलिस की गिरफ्त में है. उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी, सरकारी कर्मचारियों को प्रताड़ित करने जैसे तमाम केस दर्ज हैं.
राणा कपूर (Rana Kapoor): राणा कपूर यस बैंक (Yes Bank) के संस्थापक और पूर्व प्रबंधक निदेशक और सीईओ थे. लेकिन अब जेल इनका दूसरा घर है. करीब 4 साल के बाद इसी साल अप्रैल में राणा कपूर जेल से बाहर आए हैं. राणा कपूर पर पद के दुरुपयोग करने और अपने परिवार को लाभ पहुंचाने का केस चल रहा है. जिससे बैंक को भारी नुकसान पहुंचा. इनकी वजह से Yes Bank एक समय कंगाल होने के कगार पर पहुंच गया था.
राणा कपूर के खिलाफ सीबीआई ने मार्च 2020 में धोखाधड़ी व आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया था. वहीं ईडी की भी जांच चल रही है. ED का आरोप है कि राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों ने कुछ कंपनियों को यस बैंक से भारी लोन दिलाने के बदले में करीब 4300 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी. ED की मानें तो राणा कपूर के चेयरमैन रहते हुए यस बैंक ने करीब 30000 करोड़ रुपये के लोन मंजूर किए थे, जिसमें से 20000 करोड़ के लोग बैड लोन में बदल दिए गए.