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आधार की ताकत की एक और पहचान, 6 साल से बिछड़े बेटे को मां से मिलवाया

बिहार के खगड़िया जिले से साल 2016 में 15 साल का दिव्यांग बच्चा लापता हो गया था. 28 नवंबर, 2016 को वो नागपुर रेलवे स्टेशन पर पाया गया था, जिसे रेलवे अधिकारियों ने नागपुर में वरिष्ठ लड़कों के सरकारी अनाथालय को सौंप दिया था. जब वो आधार बनवाने के लिए पहुंचा, तो जानकारी सामने आई.

आधार कार्ड ने बेटे को मां से मिलवाया. आधार कार्ड ने बेटे को मां से मिलवाया.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST

आज के समय में आधार (Aadhaar) हमारी पहचान का सबसे जरूरी दस्तावेजों में से एक हैं. इसके बिना बैंक अकाउंट खुलवाने से लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ तक लेने में परेशानी झेलनी पड़ती है. लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें आधार ने एक बिछड़े किशोर को उसके परिवार से मिलाने में मदद की है. एक 21 वर्षीय दिव्यांग युवक, छह साल तक लापता रहने के बाद अपने परिवार से वापस मिला है. एक परिवार के खोए हुए सदस्य को परिवार से वापस मिलाने में आधार ने एक बार फिर अहम भूमिका निभाई है.

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2016 में परिवार से बिछड़ा था

दरअसल, बिहार के खगड़िया जिले से साल 2016 में 15 साल का दिव्यांग बच्चा लापता हो गया था. 28 नवंबर, 2016 को वो नागपुर रेलवे स्टेशन पर पाया गया था, जिसे रेलवे अधिकारियों ने नागपुर में वरिष्ठ लड़कों के सरकारी अनाथालय को सौंप दिया था.

इस बच्चे का नाम प्रेम रमेश इंगले रखा गया था. अनाथालय के अधीक्षक और परामर्शदाता विनोद डाबेराव ने जुलाई 2022 में प्रेम रमेश इंगले के आधार रजिस्ट्रेशन के लिए नागपुर आधार सेवा केंद्र पहुंचे, लेकिन प्रेम रमेश का आधार नहीं बनाया जा सका. क्योंकि उसके बॉयोमीट्रिक्स एक और आधार नंबर से मेल खा रहे थे.

बॉयोमैट्रिक्स डिटेल्स से मिली जानकारी

इसके बाद आधार सेवा केंद्र ने UIDAI के क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क किया और बॉयोमीट्रिक्स डिटेल्स को वेरिफाई किया गया. इसके बाद जानकारी सामने आई कि संबंधित युवक के पास 2016 से बिहार के खगड़िया जिले के एक इलाके का आधार है, जिसमें युवक का नाम सचिन कुमार दर्ज है. आगे की जांच और वेरिफिकेशन के बाद अधिकारियों ने अनाथालय के अधीक्षक को युवक की पहचान की के बारे में जानकारी दी गई. इसके बाद खगड़िया (बिहार) में स्थानीय पुलिस के सहयोग से परिवार को सूचना दी गई.

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परिवार से मिला किशोर

इसके बाद अगस्त के तीसरे सप्ताह में संबंधित पुलिस अधिकारियों और गांव के 'सरपंच' से जरूरी दस्तावेजों के साथ युवक की मां और चार रिश्तेदार नागपुर पहुंचे. बाल कल्याण समिति के नियमानुसार एवं न्यायालय के निर्देशानुसार बालक को सौंपने की प्रक्रिया अनाथालय के अधीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से कानूनी तौर पर पूरी कर ली गई. इस मामले के बाद एक बार फिर से आधार की ताकत साबित हो गई. आधार की वजह से बिछड़ा एक किशोर सालों बाद अपने परिवार से वापस जा मिला.

 

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