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Hindenburg vs Gautam Adani: हिंडनबर्ग के चोट का अडानी साम्राज्य पर गहरा असर, 20 दिन में 70% टूटे ये स्टॉक

अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट से गौतम अडानी की नेटवर्थ में भारी कमी आई है. ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स में गौतम अडानी खिसक कर 24वें नंबर पर पहुंच गए हैं. जबकि 24 जनवरी को गौतम अडानी इस लिस्ट में चौथे नंबर थे, फिलहाल गौतम अडानी की कुल नेटवर्थ घटकर 51.5 बिलियन डॉलर रह गई है.

अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:15 AM IST

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप के शेयरों में भूचाल आ गया है. 24 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को लेकर 88 सवाल उठाए थे. जिसके बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों को बेचने की होड़ मच गई. इस रिपोर्ट के बाद गौतम अडानी नेटवर्थ में भी हर रोज गिरावट देखने को मिल रही है. 

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दरअसल, फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म Hindenburg ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी ग्रुप की 7 प्रमुख लिस्टेड कंपनियां 85 फीसदी से अधिक ओवरवैल्यूज हैं. हिंडनबर्ग की ये रिपोर्ट 24 जनवरी को सार्वजनिक की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप के शेयरों के भाव असली कीमत से 85% अधिक है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी शेयर की वैल्यू 100 रुपये है और कहा जाए कि यह शेयर 85% ओवरवैल्यूड है, तो फिर इस हिसाब से शेयर का सही भाव 15 रुपये आंका जाता है. 

80 फीसदी तक लुढ़के शेयर

कुछ इसी तरह हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के शेयरों को 85 फीसदी तक ओवरवैल्यूड बताया था. 24 जनवरी से गिरावट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर 70 फीसदी तक टूट गए. जबकि 52 वीक हाई से शेयर 80 फीसदी से ज्यादा फिसल चुके हैं. यानी क्या अब शेयरों की चाल बदल सकती है? क्योंकि हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि अडानी ग्रुप के 85 फीसदी तक महंगे हैं और अब शेयर गिरकर उस आंकड़े तक पहुंच गया है. 

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इस कड़ी में सबसे अडानी ग्रीन एनर्जी को लेते हैं, शेयर में 15 फरवरी को भी 5 फीसदी लोअर सर्किट लगा. इस गिरावट के साथ ही शेयर 621 रुपये पर पहुंच गया है. जबकि इस शेयर का एक साल अधिकतम स्तर (52-week high level) 3050 रुपये था, जो इसने पिछले साल अप्रैल में लगाया था. वहां से अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर करीब 80 फीसदी टूट चुका है. 

कई शेयरों में अब भी लोअर सर्किट

इसके अलावा अडानी पावर (Adani Power) के शेयर गिरकर 140.80 रुपये पर आ गया है. यह शेयर अपने 52 वीक हाई से 67.44 फीसदी टूट चुका है. इस शेयर का एक साल अधिकतम स्तर 432.80 रुपये था. अडानी विल्मर (Adani Wilmar) अपने एक साल के उच्चतम स्तर से 56 फीसदी गिर चुका है. जबकि पिछले एक साल में Adani Enterprises के शेयर 58 फीसदी और बिखर चुका है, शेयर का 52 वीक हाई 4,189.55 रुपये है. वहीं अडानी पोर्ट (Adani Ports) के शेयर एक साल में 43 फीसदी लुढ़क चुका है. 

वहीं  हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद सबसे ज्यादा पिछले 20 दिन में अडानी टोटल गैस के शेयर करीब 72 फीसदी गिरे हैं, वहीं अडानी ग्रीन एनर्जी में 68 फीसदी की गिरावट आई है. 

गौरतलब है कि अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट से कंपनी के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में भारी कमी आई है. ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स में गौतम अडानी खिसक कर 24वें नंबर पर पहुंच गए हैं. जबकि 24 जनवरी को गौतम अडानी इस लिस्ट में चौथे नंबर थे, फिलहाल गौतम अडानी की कुल नेटवर्थ घटकर 51.5 बिलियन डॉलर रह गई है. 

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हिंडनबर्ग का क्या है काम?
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग का कॉर्पोरेट गलत कामों को खोजने और कंपनियों के खिलाफ दांव लगाने का ट्रैक-रिकॉर्ड है. यहां दांव लगाने का मतलब 'शॉर्ट सेलिंग' है. हिंडनबर्ग रिसर्च एक फोरेंसिक वित्तीय शोध फर्म है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का विश्लेषण करती है. इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की है. रिपोर्ट के मुताबिक इस कंपनी में 9 लोग काम करते हैं.  

हिंडनबर्ग की वेबसाइट के मुताबिक यह फर्म 'मानव निर्मित आपदाओं' (man-made disasters) के अनियमितताओं, कुप्रबंधन और अघोषित संबंधित पक्ष लेनदेन का लेखा-जोखा करता है. इस काम में कंपनी अपनी पूंजी लगाती है. हिंडनबर्ग आमतौर पर संभावित गलत कामों को खोजने के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जिसमें मामले की व्याख्या की जाती है.

साल 2020 में किया था बड़ा खुलासा
साल 2017 के बाद से हिंडनबर्ग ने अब तक करीब 16 कंपनियों में कथित गड़बड़ी को लेकर खुलासा किया है. पिछले साल इसने ट्विटर इंक (Twitter Inc) को लेकर भी एक रिपोर्ट जारी की थी. पहले कंपनी ने मई- 2022 में एक छोटी रिपोर्ट दी थी, लेकिन जुलाई में फिर एक विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की थी. 

हालांकि सितंबर-2020 में इलेक्ट्रिक ट्रक निर्माता निकोला कॉर्प के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जाता है. हिंडनबर्ग के संस्थापक नाथन एंडरसन ने बताया था कि निकोला ने तकनीकी विकास को लेकर निवेशकों को धोखा दिया है. जिसमें उन्होंने निकोला द्वारा जारी एक वीडियो को चुनौती दी थी. बाद में एक अमेरिकी जूरी ने निकोला के संस्थापक को निवेशकों से झूठ बोलने के आरोप में दोषी ठहराया था. हिंडनबर्ग का कहना है कि व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों से निष्कर्षों के साथ उन्होंने कंपनी के बारे में खुलासा किया था.

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