
देश में अधिकतर सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में महीने के आखिरी दिन या फिर उसके अगले दिन यानी पहली तारीख को सैलरी (Salary) मिल जाती है. एक तरह से देश में लगभग सभी कर्मचारियों की सैलरी महीने के पहले हफ्ते में ही क्रेडिट हो जाती है. सैलरी आते ही कुछ लोग जमकर खर्चे करने लग जाते हैं, बचत तो छोड़िए... ऐसे लोगों के लिए महीने के आखिरी हफ्ते तक खर्चा चलाना भी मुश्किल हो जाता है. फिर सैलरी के लिए एक-एक दिन का इंतजार करने लग जाते हैं.
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो इस महीने से अपनी आदत बदल डालिए. अगर आप शादी-शुदा हैं तो फिर बच्चों की पढ़ाई, घर, कार वगैरह के खर्चों के लिए बचत (Saving) बेहद जरूरी है. जब आप बचत करेंगे तभी इन लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगे. बहुत लोगों की ये शिकायत होती है कि पैसे बचते नहीं हैं, इसलिए सेविंग नहीं कर पाते हैं. सैलरी जब थोड़ी बढ़ जाएगी तब हर महीने निवेश करना शुरू करेंगे.
सैलरी और निवेश के बीच तालमेल जरूरी
लेकिन सच्चाई ये है कि अधिकतर लोग सैलरी और निवेश के बीच तालमेल नहीं बिठा पाते हैं, इसलिए वो इस तरह की बात करते हैं. अगर आप चाहें तो जितनी सैलरी है, उसी में से बचत कर सकते हैं. इसके लिए केवल इच्छाशक्ति और बेहतर प्लान की जरूरत है. आज हम आपको बताएंगे कि सबसे पहले सैलरी मिलते ही आपको क्या करना है?
सैलरी मिलते ही सबसे पहले बचत या निवेश के लिए निर्धारित राशि को सैलरी अकाउंट से अलग कर दें. अगर आप ये सोचकर चलेंगे कि महीने के आखिर में जो पैसे बचेंगे, उसे निवेश करेंगे, तो यकीन मानिए... आप निवेश नहीं कर पाएंगे. इसलिए सैलरी मिलते ही सबसे पहले निवेश की राशि को ठिकाने लगा दें. अगर आपके पास दूसरा अकाउंट है तो उसमें पैसे ट्रांसफर कर दें. अगर दूसरा अकाउंट नहीं है तो फिर उस अमाउंट को पहले हफ्ते ही सैलरी अकाउंट से सीधे निवेश कर दें.
एक उदाहरण से समझते हैं...
वैसे भी निवेश के लिए महीने का पहला हफ्ता सबसे सही वक्त होता है. उदाहरण के लिए अगर आपकी सैलरी 40 हजार रुपये महीने है तो अकाउंट में पैसे आते ही सबसे पहले उसमें से 20 फीसदी राशि यानी 8000 रुपये दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दीजिए. अब आप कहेंगे अगर 40 हजार में से 8 हजार निवेश ही कर देंगे तो खर्चे कैसे चलेंगे?
निवेश का फॉर्मूला कहता है कि नौकरी-पेशा लोगों को हर महीने कम से कम आमदनी का 20 फीसदी हिस्सा निवेश करना चाहिए. अगर आप भविष्य में बड़ा फंड चाहते हैं तो पहली नौकरी से ही इसकी शुरुआत कर दें. अब मुद्दे पर लौटते हैं कि अगर 40 हजार में से 8 हजार निवेश कर देंगे, तो फिर बाकी महीने भर के खर्चे कैसे चलेंगे?
वेतन का 20 फीसदी हिस्सा बचाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती है. आप फिजूलखर्ची पर केवल लगाम लगाकर सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा हर महीने बचा सकते हैं. शुरुआत में आपको थोड़ी दिक्कतें होंगी, लेकिन ये जरूरी है. केवल 6 महीने में आप अपनी आदत को बदल सकते हैं. सबसे पहले खर्चों की लिस्ट बनाएं. उसमें जो जरूरी है, उसे पहले जगह दें, उसके बाद उन खर्चों पर विचार करें, जिनपर कैंची चला सकते हैं. यानी कटौती कर सकते हैं.
इन खर्चों पर कैंची चलाने की जरूरत
अगर आप हर हफ्ते बाहर खाना खाने जाते हैं तो उसे महीने में 2 बार कर दें. इसके अलावा फालतू खर्चों की एक लिस्ट बनाएं, जिसे आप हर महीने बेवजह खर्च करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक हर आदमी अपनी सैलरी का करीब 10 फीसदी हिस्सा फिजूल में खर्च कर देता है.
आज के दौर में फिजूलखर्ची का सबसे बड़ा जड़ क्रेडिट कार्ड है. अगर आपके पास भी क्रेडिट कार्ड (Credit Card) है तो उसके धड़ल्ले से इस्तेमाल पर लगाम लगाएं. अगर बहुत सारा क्रेडिट कार्ड बनवा रखें हैं तो कुछ को तुरंत बंद करवा दें. ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) से बचें. जब भी बाहर खरीदारी के लिए जाएं तो घर से लिस्ट बनाकर जरूर निकलें. एक बात और याद रखें, सैलरी मिलते ही उन चीजों को ऑफर के चक्कर में या बेवजह न खरीद जो आपके इस्तेमाल के न हो. इस तरह करके आप आसानी से हर महीने अपनी सैलरी की 20 फीसदी राशि बचा सकते हैं.
आप जो हर महीने 8 हजार रुपये बचा रहे हैं, उसे म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में एसआईपी कर सकते हैं. इस तरह से आप शुरुआत में हर साल करीब 1 लाख रुपये बचा सकते हैं. लगातार 10 साल तक सैलरी आते ही सबसे पहले निवेश की निर्धारित राशि को अलग कर दें और फिर बाकी बचे पैसों से महीने भर के खर्चे चलाएं. यकीन मानिए, कुछ साल के बाद ही आपको सैलरी के लिए दिन नहीं गिनने पड़ेंगे. और 10 साल के बाद आपके पास इतनी बड़ी राशि जमा हो जाएगी, जिससे आप अपने भविष्य के लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे.