
गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है और ज्यादातर लोग अपने घर को ठंडा रखने के लिए एयरकंडीशनर खरीदने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन इस बार AC खरीदना लोगों की जेब पर भारी पड़ सकता है जिसकी एक वजह टैरिफ़ वॉर को भी माना जा रहा है. AC कंपनी ब्लू स्टार ने तो अप्रैल से एयरकंडीशनर की कीमतें बढ़ाने का संकेत भी दे दिया है. वहीं कुछ कंपनियों का कहना है कि भू-राजनीतिक तनाव AC की कीमतों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं क्योंकि इससे लॉजिस्टिक की कॉस्ट बढ़ रही है और प्रॉडक्शन टाइमलाइंस प्रभावित हो रही हैं जिससे जरुरी कम्पोनेंट्स की उपलब्धता घट गई है.
कितना महंगा होगा AC?
इस बार गर्मी बढ़ने के साथ-साथ AC की कीमतें भी 4-5% तक बढ़ सकती हैं. ब्लू स्टार का कहना है कि मेटल की कीमतों में उछाल की वजह से दाम बढ़ाना कंपनियों की मजबूरी है. ब्लू स्टार के एमडी बी थियागराजन का कहना है कि मेटल की कीमतें अस्थिर हैं और रुपये की कमजोरी से इंपोर्ट महंगा हो गया है. इसके अलावा सप्लाई चेन में दिक्कतें भी कीमतें बढ़ा रही हैं क्योंकि AC के कंप्रेसर जैसे ज्यादातर पार्ट्स चीन से आते हैं. ऐसे में चीन में सप्लाई की बढ़ती दिक्कतें भारत में एयरकंडीशनर के दाम बढ़ाने का काम कर रही हैं. देश में अभी भी 35% पार्ट्स बाहर से मंगवाए जाते हैं.
तेज गर्मी बढ़ाएगी AC की डिमांड!
इस साल मार्च से तापमान बढ़ने लगा है जिससे आशंका जताई जा रही है कि इस बार भी 2024 की तरह ही गर्मी पड़ेगी. गर्मी बढ़ने से AC की डिमांड भी बहुत बढ़ रही है जिससे ब्लू स्टार ने उम्मीद जताई है कि इस साल इंडस्ट्री की ग्रोथ में 25% तक इजाफा हो सकता है.
दाम बढ़ने के बावजूद ईएमआई ऑप्शन की मौजूदगी लोगों को AC खरीदने में मदद कर रही है और इससे आखिरकार इंडस्ट्री को ही फायदा मिल रहा है क्योंकि कीमतों में बढ़ोतरी लोगों की जरुरत के सामने बेअसर हो रही है.
AC खरीदना नहीं आसान!
सप्लाई चेन की दिक्कतों से लोगों को इस बार मनपसंद मॉडल मिलना मुश्किल हो सकता है. इसके अलावा प्रोडक्शन में देरी की आशंका भी ज्यादा डिमांड होने पर सप्लाई का संकट खड़ा कर सकती है. वहीं एक बड़े चीनी सप्लायर का लाइसेंस जून में खत्म हो रहा है. हालांकि अप्रैल-जून तिमाही की डिमांड के बाद इसका खत्म होना भी थोड़ी राहत की वजह है.
सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार की कोशिश
सरकार अपनी PLI स्कीम से लोकल प्रोडक्शन बढ़ाने की कोशिश कर रही है. लेकिन अभी भी भारत को 14 मिलियन AC की जरूरत है और लोकल प्रोडक्शन केवल 8 मिलियन ही पूरा कर पाता है. इसके अलावा सरकार भारतीय कंपनियों को चीनी कंपनियों के साथ करार करने को मंजूरी दे सकती है जिससे कंप्रेसर जैसे जरुरी पार्ट्स को बनाना और उनकी सप्लाई सुनिश्चित करना आसान हो सकता है.