
भारत में मंगलवार को एक साथ ईद (Eid) और अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का त्योहार मनाया जा रहा है. अक्षय तृतीया के मौके पर सोना, हीरा या गहने खरीदने की परंपरा रही है. यह परंपरा अब ट्रेंड और फैशन का रूप ले चुकी है. अक्षय तृतीया अब एक तरह से लोगों का त्योहार नहीं बल्कि कॉरपोरेट उत्सव का रूप ले चुका है. हालांकि सोना हो या हीरा या इनसे बने गहने, इन्हें खरीदते समय कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है.
अगर गहनों की खरीदारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो भारी नुकसान से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं कि वे कौन सी बातें हैं, जिनका ध्यान रखकर इस अक्षय तृतीया के अवसर पर आप अपना बड़ा नुकसान बचा सकते हैं.
1. बिल में जरूर डलवाएं हॉलमार्क का नंबर
कीमती धातुओं और गहनों व नगीनों के कारोबारी आशीष सोनी बताते हैं कि कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखकर लोग लाखों के नुकसान से बच सकते हैं. वह कहते हैं कि सोना या सोने के गहने खरीदने से पहले हॉलमार्क जरूर चेक करना चाहिए. हॉलमार्क से सोने की शुद्धता का पता चलता है. इसके तहत अमूमन 18 कैरेट से 22 कैरेट तक की ज्वेलरी बिकती है. 22 कैरेट में 92% सोना और 18 कैरेट में 75% प्रतिशत सोना होता है. 24 कैरेट विशुद्ध सोना होता है, जो इतना लचीला होता है कि गहने ही ना बन पाएं. सही आकार देने के लिए सोने में चांदी, तांबा और अन्य धातुओं की मिलावट जरूरी होती है. आशीष कहते हैं कि सोने के गहने, गिन्नी, सिक्के या बिस्किट खरीदने से पहले यह चेक करना चाहिए कि उस पर सही हॉलमार्क है या नहीं. इसके साथ ही हॉलमार्क की उस संख्या को बिल में जरूर लिखवाना चाहिए. हर ज्वेलरी का एक यूनिक HUID नंबर होता है, जो BIS के आगे लिखा होता है. इससे इस बात की श्योरिटी हो जाती है कि आपने सोना जहां से भी लिया है, वह उसे फिर से खरीद लेगा.
2. गहनों में भरे मोम से होता है इतना नुकसान
आशीष के अनुसार, ग्राहकों को सबसे ज्यादा नुकसान गहने में भरे गए मोम और चपड़ी के कारण होता है. जब ग्राहक गहने खरीदता है तो वह इन मिलावटी चीजों को भी सोने के भाव में ले आता है और जब वह बेचने जाता है तो ज्वेलर इन्हें हटाकर दाम लगाते हैं. उन्होंने कहा कि हार, मंगलसूत्र आदि में सोने के दाने, घुंघरू या फुलावट के डिजाइन भी होते हैं. उनमें चपडी या मोम भरा हुआ होता है. इस बारे में दुकानदार तभी बताता है, जब उससे पूछा जाता है कि उन दानों के अंदर कितना मोम है. चूंकि भरे हुए मोम या चपड़े का वजन नहीं किया जा सकता, इस कारण आपको गहने बदलवाने या वापस बेचते समय 10% से 30 फीसद तक का नुकसान हो सकता है. सोने की ज्वेलरी में 10 से 30% तक मोम हो सकता है, जिसे हम सोने के दाम में खरीद कर लाते हैं.
3. सोने के दाम पर न खरीदें नगीने
फिर आता है नगीने का नंबर! ज्वेलरी में लगे जगमग नगीने उसकी सुंदरता बढ़ाते हैं. सोने की ज्वेलरी में लगने वाले नगीने विशेष तौर पर भारी बनाए जाते है. अंगूठी और टॉप्स में इन भारी भरकम नगीनों का खूब इस्तेमाल होता है. जब भी आप कान के लिए टॉप्स खरीदें, तो उसके नगीने विशेष तौर पर चेक करें. दुकानदार या शोरूम के मालिक से पूछें कि इसमें नगीने का कितना वजन है? इसे हम अमेरिकन डायमंड भी कहते हैं. सोने की ज्वेलरी में 5 से 15 प्रतिशत तक नगीनों का वजन हो सकता है. नाक में पहने जाने वाले कांटों और लवंग में तो नगीनों का वजन 50% तक भी हो सकता है.
4. हीरे खरीदते समय इस बात को रखें याद
आशीष कहते हैं, हीरा सदा के लिए तो है लेकिन इसकी खरीदारी करते समय भी कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए. हमेशा हीरा 0.9 कैरेट, 1.9 कैरेट आदि के हिसाब से ही लेना चाहिए. 1 कैरेट के हीरे और 0.9 कैरेट की कीमत में 50 हजार रुपये का अंतर तक हो सकता है, जबकि दिखने में कोई फर्क नही पड़ता है. जिस प्रकार गोल्ड में हॉलमार्क होता है, उसी प्रकार हीरे GIA सर्टिफाइड होते हैं, जिसमें उनके कट और रंग के हिसाब से D से Z तक मार्किंग होती है. ये मार्किंग लेजर की मदद से बनाए जाते हैं, जिन्हें आप GIA की वेबसाइट पर जाकर कन्फर्म कर सकते हैं.
5. इतना सस्ता होता है लैबग्रोन हीरा
अगर आप कम बजट में हीरा खरीदना चाहते हैं तो लैब ग्रोन हीरा खरीद सकते हैं. ये हीरे बनाने के लिए एक सीड डायमंड मेकिंग मशीन में डाला जाता है. कार्बन से उसे ढका जाता है. फिर उन्हीं परिस्थितियों को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है, जिनमें नैसर्गिक रूप में हीरे बनते है. सिर्फ इन्हें बनाने के लिए लाखों साल का इंतजार नही करना पड़ता. सामान्य रूप से देखने में इनमें और नैसर्गिक हीरे में कोई फर्क नहीं होता. सिर्फ विशेषज्ञ ही लैब में जांच कर बता सकता है कि हीरा नेचुरल है या लैब ग्रोन. ये हीरे नेचुरल हीरों की तुलना में 30% कीमत पर उपलब्ध होते है.
6. जेब पर भारी पड़ती है गहनों की मीनाकारी
मीनाकारी से सोने के गहने और भी सुंदर हो जाते हैं, लेकिन यह मीनाकारी आपकी जेब पर भारी पड़ती है. मीनाकारी करते समय जिन रंगों का उपयोग होता है, उनका वजन भी आप सोने के दाम देकर ही खरीदते है. सामान्य रूप से ये वजन 5 से 12% तक होता है, जिसका कोई मूल्य गहने बेचते या बदलते समय वापस नहीं मिलता है. गहने खरीदते समय इस बात का ध्यान रखा जाना जरूरी है कि कहीं बहुत ज्यादा मीना का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है. इन बातों के अलावा गहनों के मेकिंग चार्ज पर भी गौर करना जरूरी है. आम तौर पर यह कुल वैल्यू का 10 फीसदी होता है. वास्तव में ज्वेलर्स की असली कमाई यही होती है, लेकिन आज के समय में कॉरपोरेट के इस कारोबार में आ जाने से चीजें बदली हैं.