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JNU और IIT दिल्ली के प्रोफेसरों से करोड़ों की ठगी, फ्लैट दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और IIT दिल्ली के प्रोफेसरों से घर दिलाने के नाम पर जेएनयू के एक पूर्व कर्मचारी ने करोड़ों की ठगी की है. इस संबंध में पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस को कुछ सबूत भी मिले हैं.

JNU और IIT दिल्ली के प्रोफेसरों के साथ धोखाधड़ी. JNU और IIT दिल्ली के प्रोफेसरों के साथ धोखाधड़ी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और अन्य संस्थानों के कई प्रोफेसरों से ठगी का मामला सामने आया है. इन प्रोफेसरों ने जेएनयू के एक पूर्व कर्मचारी पर आवास विकास योजना के तहत डीडीए प्लॉट पर घर देने का वादा करके करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप लगाया है. प्रोफेसरों का आरोप है कि सात साल से अधिक समय तक के इंतजार के बाद जब खोखले वादों के अलावा कुछ नहीं मिला तो उनका धैर्य टूट गया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. 

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दोष साबित करने लायक सबूत

प्रथम दृष्टया पुलिस को मामले में आरोपियों के खिलाफ दोष साबित करने लायक सबूत मिले हैं. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. साल 2015 में सेवानिवृत्त होने से ठीक पहले, जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एक तकनीकी कर्मचारी डॉ. डीपी गायकवाड़ ने एक सोसायटी बनाई और इसे नोबल सोशियो-साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन (NSSWO) नाम दिया. उसने यह दावा करते हुए अपने साथियों को अपनी मेंबरशिप बेच दी कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत द्वारका नजफगढ़ क्षेत्र में एल-जोन में सोसायटी की जमीन है.

16 लाख रुपये तक की ठगी

गायकवाड़ ने जेएनयू, आईआईटी-दिल्ली और अन्य आस-पास के संस्थानों के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों से कई किस्तों में तीन साल के लिए 2 लाख रुपये से लेकर 16 लाख रुपये कलेक्ट कर लिए. जेएनयू के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के चेयरपर्सन प्रोफेसर गोबर्धन दास ने कहा- 'इसे वास्तविक दिखाने के लिए, वह हममें से कई लोगों को जमीन का एक टुकड़ा दिखाने के लिए ले गया, लेकिन बाद में पता चला कि NSSWO जमीन का मालिक नहीं था. घोटाले के शिकार दास ने कहा कि सभी सदस्यों को धोखा देकर मोटी रकम वसूल करने के बाद, उसने बातचीत करना बंद कर दिया और अपने सभी फोन नंबर ब्लॉक कर दिए. 

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बंद नहीं की धोखाधड़ी

एफआईआर में 10 शिकायतकर्ताओं में से एक आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसर बिस्वजीत कुंडू ने कहा- 'उसने धोखाधड़ी की अपनी चाल जारी रखी और फरवरी 2019 में उसने NSSWO की हमारी सदस्यता को सिद्धार्थ ऑफिसर्स हाउसिंग एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी नामक एक अन्य संस्था को स्थानांतरित करने की पेशकश की, जिसके माध्यम से हमारे फ्लैटों को काफी हद तक वितरित किया जाना था.' 

दास ने कहा कि गायकवाड़ ने खुद स्वीकार किया था कि जेएनयू के 38 प्रोफेसर हैं जिन्होंने परियोजना में निवेश किया है. उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे पता है कुछ मामलों में जब उसे मजबूर किया गया तो उसने 50 से 80 प्रतिशत पैसे वापस कर दिए, लेकिन बाद में उसने किसी के भी पैसे को वापस करने से इनकार कर दिया.

 

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