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हर किसी का सपना होता है कि एक घर अपना हो... भारत में घर के साथ इमोशन भी जुड़ा होता है. आपने भी सुना होगा कि उसके बेटे से नौकरी पकड़ते ही शहर में अपना घर भी ले लिया है. हां, ये भी सच है कि अब घर खरीदना थोड़ा आसान हो गया है. क्योंकि होम लोन तुरंत मिल जाता है, जो कि घर की कीमत की एक बड़ा हिस्सा होता है.
घर खरीदने के लिए जॉब और डाउन पेमेंट जुगाड़ होते ही होम लोन (Home Loan) आसानी से मिल जाता है. इसलिए अक्सर लोग जॉब पकड़ते ही घर खरीदने का बड़ा फैसला ले लेते हैं. डाउन पेमेंट (Down Payment) का जुगाड़ इधर-उधर से हो जाता है. लेकिन क्या नौकरी पकड़ते ही घर खरीदने का फैसला सही होता है? और क्या करियर की शुरुआत में होम लोन (Home Loan) लेना सही कदम होता है?
दरअसल, आज हम आपको ये समझाने की कोशिश करेंगे कि लोन लेकर घर-फ्लैट खरीदना क्यों फायदे का सौदा नहीं है, वो भी पहली नौकरी पकड़ते ही. अगर आप ऐसा करते हैं तो वित्तीय तौर पर बंध जाएंगे. इससे बेहतर होगा कि आप किराये पर ही रहें. आप खुद भी आंकलन कर सकते हैं कि आपके लिए क्या सही कदम होगा. आमतौर पर जब लोग लोन लेकर घर खरीदते हैं तो वो EMI में बंधकर रह जाते हैं. क्योंकि देश में अधिकतर लोग होम लोन कम से कम 20 साल के लिए लेते हैं. आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि घर खरीदना बेहतर सौदा होगा या किराये पर रहना...
बड़े शहरों में फ्लैट खरीदने का प्रचलन
दरअसल, देश में अधिकतर मध्यवर्गीय परिवार 2BHK फ्लैट खरीदते हैं, खासकर मेट्रो शहरों में यही ट्रेंड है. 2BHK फ्लैट की कीमत शहरों के हिसाब से तय होती है. अगर दिल्ली-NCR को उदाहरण के तौर पर लें तो यहां करीब 50 लाख रुपये में मिल जाते हैं. इसके लिए करीब 15 फीसदी तक अमाउंट डाउन पेमेंट (Down Payment) करना होता है. यानी करीब 7 से 8 लाख रुपये डाउन पेमेंट करना होता है. इसके साथ ही Stamp Duty, Registration Charges और ब्रोकरेज अलग से लगता है.
यही नहीं, नया घर खरीदने पर अक्सर लोग नए फर्नीचर और डेकोरेशन के सामान भी खरीदते हैं, जिसपर एक अनुमान के मुताबिक 4 लाख रुपये तक खर्च कर देते हैं. डाउन पेमेंट और इस खर्च को जोड़ दें तो गृह-प्रवेश से पहले 12 लाख रुपये तक अलग से खर्च हो जाते हैं.
आइए एक उदाहरण से समझते हैं... करीब 50 लाख रुपये का फ्लैट खरीदने के लिए कोई अगर 7 लाख रुपये डाउन पेमेंट करता है और बाकी 43 लाख रुपये होम लोन लेता है. क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अच्छा रहने पर मौजूदा समय में 9% ब्याज दर पर होम लोन मिल जाता है. 9 फीसदी ब्याज के हिसाब से 20 साल के लिए 43 लाख रुपये के होम लोन पर 38,688 रुपये की EMI बनती है. इसके अलावा डाउन पेमेंट और बाकी चीजों पर आपको करीब 12 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे.
किराये पर रहते हुए इतना कर पाएंगे निवेश
अब दूसरी स्थिति को देखते हैं. घर खरीदने की बजाय किराये पर रहने का फैसला करते हैं, और जो फ्लैट खरीद रहे थे उसे ही किराये (Flat On Rent) पर लेते हैं, जिसका मंथली रेंट करीब 15-17 हजार रुपये हो सकता है. इस तरह देखें तो हर महीने आपके पास सेविंग (Saving) के लिए करीब 21 हजार रुपये से ज्यादा बच जाएंगे. अब अगर इस पैसे को सही रणनीति के साथ निवेश करें तो करोड़ों का फंड तैयार हो सकता है. बेहतर रिटर्न के लिए आज के समय में कई शानदार इंस्ट्रुमेंट उपलब्ध हैं.
म्यूचुअल फंड से दमदार रिटर्न
कम मेहनत पर ज्यादा रिटर्न (Return) देने के मामले में एसआईपी (SIP) को अच्छा इंस्ट्रुमेंट माना जाता है. SIP में 10 से 12 फीसदी का रिटर्न मिलना आम बात है. अगर आप मंथली 21 हजार रुपये लगाते हैं, और उसपर 12% रिटर्न मिलता है तो आपको 20 साल के बाद करीब 2.09 करोड़ रुपये मिलेंगे. जबकि आप 20 साल में करीब 50 लाख रुपये निवेश करेंगे. एसआईपी के मामले में 15 फीसदी रिटर्न भी कोई बड़ी बात नहीं है. अगर 15 फीसदी रिटर्न मिलता है तो 20 साल के बाद करीब 3.18 करोड़ रुपये मिलेंगे.
इसके अलावा हर महीने की EMI के अलावा आपके पास इन्वेस्ट करने के लिए 12 लाख रुपये की एकमुश्त रकम भी है, जो आप डाउन पेमेंट से लेकर कागजी कामों पर पॉकेट से खर्च करने वाले थे. अगर इस 12 लाख रुपये को एकमुश्त कहीं निवेश करते हैं तो ये भी 20 साल के बाद एक बड़ा अमाउंट बन जाएगा. यह निवेश 20 साल में 12 फीसदी सालाना के हिसाब से करीब 1.15 करोड़ रुपये और 15 फीसदी के हिसाब से 1.96 करोड़ रुपये का हो जाएगा.
दूसरी ओर अगर आप फ्लैट खरीदते हैं तो आपको कर्ज फ्री होने में 20 साल लगेंगे. भारत में रियल एस्टेट (Real Estate) का रेट सालाना करीब 8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. इस आधार पर देखें तो आपको जो घर अभी 50 लाख रुपये में मिल रहा है, वह आपको 20 साल के बाद 2.33 करोड़ रुपये में मिल जाएगा. यानी होम लोन लेकर जो फ्लैट आज 50 लाख रुपये में खरीदेंगे, उसकी कीमत 20 साल के बाद करीब 2.33 करोड़ रुपये हो सकती है. लेकिन साथ ही पुराने घर की वैल्यू घटती भी है.
जुटा सकते हैं 5 करोड़ तक का फंड
वहीं किराये पर रहते हुए आप EMI के पैसे को निवेश कर करोड़पति बन सकते हैं. क्योंकि पहले वाली स्थिति में यानी किराये पर रहकर 20 साल में आप 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड जमा कर सकते हैं. यह 15 फीसदी रिटर्न के हिसाब से है. अगर 12 फीसदी भी रिटर्न मिला, तो 20 साल बाद आपके पास 3.25 करोड़ रुपये होंगे. इस तरह घर खरीदने की बजाय किराये पर रहने निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है, और 20 साल के बाद निवेश की राशि से ही मौजूदा कीमत पर 2 घर आसानी से खरीद सकते हैं.
अगर किराये पर रहकर 20 साल तक लगातार निवेश करते हैं तो उसके बाद एक घर खरीदने के अलावा आपके पास बड़ी राशि बच जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक कम से कम 2 करोड़ रुपये अकाउंट में जमा होगा.
जानकार बताते हैं कि इन्वेस्टमेंट के हिसाब से रियल एस्टेट कभी भी होशियारी का फैसला नहीं हो सकता है. अपना घर खरीदना इमोशनल फैसला हो सकता है, इकोनॉमिकल नहीं. इसके अलावा घर खरीदने के बाद लोग एक शहर से बंधकर रह जाते हैं, करियर में फैसले से लेने से पहले घर के बारे में सोचते हैं. साथ ही कमाई का बड़ा हिस्सा EMI भरने में चला जाता है, जिससे निवेश समेत दूसरे विकल्पों पर विचार नहीं कर पाते, क्योंकि लोन को लेकर 20 साल तक टेंशन में रहते हैं. साथ ही नौकरी पर संकट आने की स्थिति में भी वित्तीय तौर पर लोग परेशान हो जाते हैं. इसलिए नौकरी शुरू करने के साथ ही घर लेने पर जोर नहीं देना चाहिए.
लंबे वक्त तक एक शहर में रहने का है प्लान...
अगर रियल एस्टेट (Real Estate) में ही पैसा लगाना है तो फिर फ्लैट खरीदने से बेहतर होगा कि टीयर-2 या टीयर-3 शहरों में जमीन या जमीन से जुड़ा घर खरीदें, हमेशा से फ्लैट के मुकाबले लैंड ने बेहतर रिटर्न दिया है. इसके अलावा किसी शहर में आप 7 से 8 साल तक रहने का प्लान बना लिया है तो फिर फ्लैट खरीद सकते हैं, क्योंकि तब 'नो लॉस-नो प्रॉफिट' वाला समीकरण होगा. यही नहीं, अगर फ्लैट खरीदते हैं तो सैलरी का अधिकतम 25 फीसदी हिस्सा ही होम लोन की EMI होनी चाहिए.