
शादी हो या फिर कोई पर्व भारत में सोना यानी Gold खरीदना परंपरा में शामिल हो गया है, लेकिन इसके साथ ही निवेश के शानदार विकल्पों की बात आने पर भी यहीं गोल्ड (Gold Investment) पहली पसंद रहता है. लेकिन डिजिटलीकरण के इस दौर में अब सोने में निवेश के भी कई ऑप्शन मिलने लगे हैं.
सरकार खुद लोगों को सस्ता सोना बेच रही है और ये सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना यानी SGB Scheme के जरिए बेचा जा रहा है. इसमें बाजार भाव से सस्ता सोना मिलता है और निवेश पर सुरक्षा की गारंटी सरकार देती है. अब सवाल ये कि आखिर सरकार द्वारा बेचे जा रहे Digital Gold को खरीदें या फिर दुकान पर जाकर Physical Gold की खरीदारी की जाए? कहां गोल्ड में निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है? आइए जानते हैं कि दोनों में से कहां अपनी गाढ़ी कमाई लगाना बेहतर होगा.
15 सितंबर तक सस्ता सोना खरीदने का मौका
सबसे पहले बात कर लेते हैं डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) की, जो निवेश का एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है. यही कारण है कि सराकर द्वारा साल 2015 में शुरू की गई सस्ता सोना बेचने की पहल Sovereign Gold Bonds Scheme को जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है. इस फाइनेंशियल ईयर के लिए सॉवेरन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज सोमवार 11 सितंबर 2023 से शुरू हो चुकी है और ये 15 सितंबर तक ओपन रहेगी. यानी इस तारीख तक आप बाजार भाव से सस्ता सोना खरीद सकेंगे.
हालांकि, यहां ये ध्यान देना जरूरी है कि सरकार जो सोना बेचती है, वह यह एक तरह का पेपर गोल्ड या डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) होता है, जिसमें आपको एक सर्टिफिकेट दिया जाता है कि आप किस रेट पर सोने की कितनी मात्रा खरीद रहे हैं.
डिजिटल गोल्ड खरीदारी में फायदा ही फायदा
इस डिजिटल गोल्ड को खरीदने पर रिटर्न मिलने की संभावना ज्यादा रहती है. दरअसल, इसे इस तरीके से समझ सकते हैं कि एसजीबी स्कीम के तहत गोल्ड बॉन्ड में निवेश किया जाता है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किया जाता है. अगर फायदे की बात करें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है और ये अश्योर्ड रिटर्न होता है. इसके अलावा इस स्कीम में सोना खरीदने पर सरकार तय किए गए रेट पर अतिरिक्त छूट भी देती है.
इसमें 50 रुपये प्रति ग्राम का डिस्काउंट ऑनलाइन खरीदारी करने वालों को मिलता है. यानी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इस बार 1 ग्राम सोने का जो भाव 5,923 रुपये तय किया गया है, वो ऑनलाइन खरीद पर 5,873 रुपये प्रति ग्राम होगा. स्कीम में एक वित्तीय वर्ष में एक व्यक्ति अधिकतम 500 ग्राम गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है, जबकि खरीदार कम से कम एक ग्राम सोने में निवेश किया जा सकता है.
7 साल में 120 फीसदी का रिटर्न
निवेशकों इस डिजिटल गोल्ड को कैश से भी खरीद सकते हैं और जितनी रकम का Gold इसमें खरीदा जाता है, उसके बराबर मूल्य का सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, उन्हें जारी कर दिया जाता है. इसका मैच्योरिटी पीरियड 8 साल का होता है. लेकिन 5 साल के बाद इसमें बाहर निकलने का विकल्प भी मिलता है. एक और खास बात ये कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में आप 24 कैरेट यानी 99.9% शुद्ध सोने में निवेश करते हैं. साल 2015 में ल्कीम लॉन्च होने के बाद से अब तक इस स्कीम को निवेशकों का जबरदस्त रिस्पांस मिला है और इसके बदले उन्हें रिटर्न भी जोरदार मिला है. लॉन्चिंग ईयर यानी साल 2015-16 में स्कीम के तहत सोने का भाव 2,684 रुपये प्रति ग्राम था, वहीं 2023-24 की दूसरी सीरीज के लिए 5,923 रुपये है. यानी पिछले सात साल में इस स्कीम ने लगभग 120 फीसदी का रिटर्न दिया है.
फिजिकल गोल्ड खरीदना सबसे पुराना तरीका
डिजिटल गोल्ड के बाद अब फोकस करते हैं फिजिकली गोल्ड की खरीदारी पर (Physically Gold Buy), तो बता दें कि देश में ये तरीका सबसे पुराना और आसान है. मतलब आप दुकान पर जाएं और अपनी पसंद के सोने के आभूषण खरीदकर घर लाएं और लॉकर में रख दें. आंतौर पर भारत में लोग निवेश के तौर पर सोने की ज्वैलरी या फिर सिक्के ही खरीदते हैं. फिजिकल गोल्ड की खरीदारी में समय के साथ डिजिटलीकरण शामिल हो गया है, आज आप किसी ज्वेलर्स के पास जाने के अलावा ऑलनाइन गोल्ड खरीद सकते हैं. कई कंपनियां घर तक ज्वैलरी पहुंचा देती हैं.
फिजिकली गोल्ड के नुकसान
अगर आप सोने के आभूषण पहनने के लिए गोल्ड खरीद रहे हैं या फिर शादी विवाह की ज्वैलरी ले रहे हैं, तो फिर ठीक है, लेकिन अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं तो डिजिटल गोल्ड में निवेश ही फायदे का सौदा साबित होगा. दरअसल, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि इसे बाजार में रोजाना होने वाले रेट में बदलाव के साथ लेना होता है और जब भी आप किसी शोरूम या फिर दुकान से गोल्ड ज्वैलरी खरीदते हैं, तो उस वक्त मेकिंग चार्ज (Making Charge) वसूला जाता है. लेकिन जब आप वही ज्वैलरी बेचने जाएंगे तो मेकिंग चार्ज माइनस कर दिया जाता है. इसके अलावा ज्वैलरी में प्योरिटी को लेकर भी मन में सवाल उठता है. इन कारणों से फिजिकली सोना खरीदना एक तरह से घाटे का सौदा है.