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सिलिकॉन वैली बैंक क्यों डूबा? चीन में माथापच्ची, सबसे बड़े बैंक ने बताई वजह

सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने की खबर ने दुनिया भर के मार्केट को हिलाकर रख दिया. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के डिप्टी गवर्नर ने सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने की वजह बताई है. यूरोप में भी बैकिंग संकट नजर आ रहा है.

क्यों डूबा ये अमेरिकी बैंक? क्यों डूबा ये अमेरिकी बैंक?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:06 AM IST

अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट ने आर्थिक मंदी की आशंका को गहरा दिया है. चीन के सेंट्रल बैंक (China Central Bank) ने बैंकिंग संकट पर कहा कि अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने से ये पता चलता है विकसित देशों में ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी से वित्तीय स्थिरता पर कितना गहरा प्रभाव पड़ रहा है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के डिप्टी गवर्नर जुआन चांगनेंग ने कहा कि कुछ इंस्टीट्यूशन कम ब्याज दर के दौरान संपत्ति खरीदने के आदि हो गए हैं. उनके पास ब्याज दरों में सख्ती के लिए विजन की कमी है.

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क्यों डूबा सिलिकॉन वैली बैंक?

बीजिंग में आयोजित ग्लोबल एसेट मैनजमेंट फोरम पर जुआन ने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक की कमजोर बैलेंस शीट ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया. इसी वजह से बैंक डूबा. जुआन ने कहा कि महंगाई दर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी ने ग्लोबल इकोनॉमी के लिए नए जोखिम पैदा कर दिए हैं. विकसित देशों में महंगाई को लेकर अभी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने जोखिम को और बढ़ा दिया है.

सिलिकॉन वैली बैंक अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक है. इसके डूबने की खबर ने दुनिया के आर्थिक मार्केट को झकझोर दिया. हालांकि, अमेरिकी बैंक के चीन स्थित ज्वाइंट वेंचर ने अपने ग्राहकों से कहा कि उसका कारोबार पूरी तरह से इंडिपेंडेंट है.

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2008 के संकट जैसी स्थिति नहीं

ओकट्री ग्रुप के को-फाउंडर हार्वड मार्क्स ने कहा कि सिलिकॉन वैली और अन्य अमेरिकी बैंकों के फेल होने के मामले लगभग एक ही तरह के हैं. इसका अमेरिकी इकोनॉमी पर कोई भी इंस्टीट्यूशनल प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है. साथ ही हार्वड ने कहा कि मुझे 2008 के ग्लोबल संकट जैसी कोई समानता नहीं नजर आ रही है.

सिलिकॉन वैली बैंक नए जमाने की टेक कंपनियों और वेंचर कैपिटल के निवेश वाली कंपनियों को फाइनेंसियल सपोर्ट देने वाला अमेरिका का प्रमुख बैंक है. पिछले 18 महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में इजाफा किया है. इस वजह से ऐसी कंपनियों को तगड़ा नुकसान हुआ है. 

क्रेडिट सुइस का हाल बेहाल

Europe के सबसे बड़े बैंकों में से एक Credit Suisse का हाल भी बदहाल है. हालांकि, क्रेडिट सुइस के डिपॉजिट संकट को टालने में स्विस नेशनल बैंक जुट गया है. स्विस नेशनल बैंक ने कहा कि वो क्रेडिट सुईस को 54 बिलियन डॉलर का लोन देगा. 2008 के वित्तीय संकट के बाद से क्रेडिट सुइस पहला प्रमुख वैश्विक बैंक है जिसे इमरजेंसी लाइफलाइन दी गई है.

बता दें कि अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर का सबसे बड़ा संकट साल 2008 में आया था. इस साल बैंकिंग फर्म लेहमन ब्रदर्स ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था. इसके बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छा गई थी और इकोनॉमी की कमर टूट गई थी. 

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